मणिपुर हिंसा को लेकर कांग्रेस समेत ज्यादातर विपक्षी दल पीएम मोदी के संसद में बयान को लेकर अड़े हैं. मणिपुर में जो कुछ भी हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण है. कुकी समुदाय की दो महिलाओं के साथ बर्बरता पर खुद प्रधानमंत्री मोदी ने दुख जताया है. उन्होंने कहा, ‘मेरा हृदय पीड़ा से भरा है और गुनहगार बख्शे नहीं जाएंगे.’ मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा, ‘हम राज्य भर में, घाटी और पहाड़ दोनों जगह इसकी निंदा कर रहे हैं. राज्य के लोग महिलाओं को मां के समान मानते हैं. कुछ शरारती तत्वों ने ऐसा करके हमारी छवि खराब की है.’ सीएम एन बीरेन सिंह ने यहां तक कहा कि इस मामले में दोषी को मृत्युदंड देने की संभावना पर भी विचार किया जाएगा.
केंद्र जल्द से जल्द शांति बहाली चाहता है जिसके लिए गृह मंत्री अमित शाह हर संभव प्रयास कर रहे हैं. गृह मंत्री ने नागरिकों की एक शांति समिति गठित की है. केंद्र मणिपुर में समाज के हर वर्ग तक पहुंचने के लिए सभी प्रयास कर रहा है और उन्हें स्थायी शांति के लिए एक जमीन पर लाने के लिए काम कर रहा है. दो महिलाओं के साथ बर्बरता के मामले मे मणिपुर पुलिस 6 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है.
राज्य में हालात पर नजर रखने वाली विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारियों का कहना है कि हिंसा को बड़े पैमाने पर अफवाहों और फर्जी खबरों के कारण बढ़ावा मिला है. अधिकारियों के मुताबिक, दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने का मामला भी एक अफवाह के कारण ही हुआ था. मणिपुर में हिंसा रोकने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों ने अब तक उठाए हैं. सरकार मणिपुर में शांति बहाल करने के लिए त्रिस्तरीय दृष्टिकोण पर काम कर रही है. इन त्रिस्तरीय दृष्टिकोण में प्रभावित लोगों के साथ बातचीत, कड़ी सुरक्षा के साथ अपने घर छोड़ने वाले लोगों का पुनर्वास और विद्रोहियों पर नियंत्रण शामिल है.
सरकार ने बनाई शांति समिति, राज्यपाल को बनाया अध्यक्ष
केंद्र सरकार ने राज्य में शांति लाने के लिए शांति समिति का गठन किया है. इस शांति समिति का अध्यक्ष प्रदेश के राज्यपाल को बनाया गया है. वहीं, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह, राज्य सरकार के कुछ मंत्रियों और विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के नेताओं को भी इसमें शामिल किया गया है.
6 हजार से ज्यादा FIR, 2000 SI कर रहे जांच, 24 घंटे काम कर रहे अधिकारी
3 मई के बाद से हुई हिंसा के मामले में मणिपुर पुलिस अब तक 6000 से ज्यादा FIR दर्ज कर चुकी है. पुलिस के 2000 से ज्यादा सब इंस्पेक्टर जांच में लगाये गए हैं. हिंसा से जुड़ी जो FIR दर्ज की गई हैं उसमें 70 FIR हत्या से जुड़ी हैं. करीब 700 लोगों को अब तक हिंसा के मामले में हिरासत में लिया जा चुका है. मणिपुर पुलिस के टॉप सूत्रों के मुताबिक पुलिस पर कानून व्यवस्था को बनाये रखने साथ जांच की दोहरी जिम्मेदारी है. ऐसे में 24 घंटे पुलिस के जवान और अधिकारी काम पर हैं.
मणिपुर में हिंसा रोकने के लिए भेजे गए डीआईजी स्तर के दो अधिकारी
मणिपुर में शांति बहाली को लेकर गृह मंत्रालय ने प्रयास तेज कर दिए हैं. हिंसा को रोकने के लिए अब यहां सीआरपीएफ के जवानों की संख्या और जिम्मेदारियां बढ़ाई जा रही हैं. गृह मंत्रालय के निर्देश पर डीआइजी रैंक को दो अधिकारियों की तैनाती मणिपुर में की जा रही है. यह एक अभूतपूर्व स्थिति है और इससे पहले, मणिपुर में केवल छह कंपनियां तैनात की गई थीं. अब, इसे बढ़ाकर 57 कर दिया गया है और वे कम से कम छह महीने तक वहां रहने वाली हैं. उनकी उचित निगरानी होनी चाहिए इसलिए इन दो अधिकारियों की तैनाती की गई है. गृह मंत्रालय ने मणिपुर में अर्धसैनिक बलों की 124 कंपनियां भेजी हैं. इसमें सीआरपीएफ की 57, रैपिड एक्शन फोर्स की 10, बीएसएफ की 48, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) की चार और सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) की पांच कंपनियां शामिल हैं.
न्यायिक आयोग करेगी जांच
मणिपुर हिंसा की जांच न्यायिक आयोग करेगा. हाई कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस इस आयोग के अध्यक्ष होंगे. इस जांच की निगरानी भारत सरकार खुद करेगी.
6 केस की जांच सीबीआई के पास
बेहतर समन्वय के लिए कुलदीप सिंह की अध्यक्षता में इंटर एजेंसी यूनिफाइड कमांड की व्यवस्था लागू की गई है. इसके अलावा मणिपुर हिंसा के मामले में दर्ज किए गए 6 केस की जांच सीबीआई की दी गई है. जांच बिना किसी पक्षपात और भेदभाव के की जाएगी.
गृह मंत्रालय ने शांति लाने के लिए बैक चैनल वार्ता प्रक्रिया का ट्रैक-3 किया शुरू
गृह मंत्रालय (एमएचए) ने मैतई और नागा के तटस्थ समुदायों के वार्ताकारों को शामिल करके बैक चैनल वार्ता प्रक्रिया का ट्रैक-3 शुरू किया है, ताकि मैतई और कुकी के बीच शांति कायम की जा सके. मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने बुधवार को मणिपुर मुस्लिम कल्याण संगठन (एमएमडब्ल्यूओ) और नागा समुदाय के नेताओं के साथ पहले ही बातचीत की थी और उनसे कुकी और मैतई के साथ बातचीत शुरू करने की अपील की थी. ट्रैक 1 पहल के तहत, गृह मंत्रालय ने कुकी समूहों के साथ बात करने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ पदाधिकारियों को शामिल किया. ट्रैक 2 पहल के तहत, पूर्वोत्तर के अतिरिक्त सचिव पीयूष गोयल, सलाहकार (पूर्वोत्तर) एके मिश्रा सहित गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने मैतई समूहों के साथ दो दौर की चर्चा की.
हिंसा पीड़ित परिवारों को 10-10 लाख रुपये की मदद का ऐलान
केंद्रीय गृहमंत्री ने हिंसा पीड़ित परिवारों को 10-10 लाख रुपये की मदद का ऐलान किया है. इस राशि में से पांच लाख रुपये केंद्र और पांच लाख रुपये राज्य सरकार वहन करेगी. जान गंवाने वाले लोगों के परिवार को राहत और पुनर्वास के लिए पांच लाख रुपये मणिपुर सरकार की तरफ से दिए जाएंगे. वहीं पांच लाख रुपये भारत सरकार की तरह से दिए जाएंगे. हिंसा में घायल हुए लोगों की संपत्ति का जो नुकसान हुआ है उनके लिए भी राहत और पुनर्वास पैकेज घोषित किया जाएगा. मणिपुर के लोगों को राशन की कमी न हो इसलिए कोटे से अतिरिक्त चावल मणिपुर भेजे गए हैं.
विस्थापित लोगों के लिए 4,000 अस्थायी घर बनाए जाएंगे
जातीय हिंसा में विस्थापित लोगों के लिए दो महीने के भीतर 4,000 पूर्वनिर्मित अस्थायी घरों के निर्माण की बात हुई है. हजारों लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं. काम 4 जुलाई को शुरू हुआ था और अब तक 30-35% तक काम पूरा हो चुका है. कुकी और मैतई समाज के लिए अलग-अलग राहत शिविर बनाए गए हैं.
राहत शिविरों में रह रहे लोगों को सरकार देगी 1,000 रुपये
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने हिंसा प्रभावित इलाकों में बने राहत कैंपों में जीवन जी रहे लोगों के लिए बड़ा ऐलान किया है. राहत शिविरों में रहने वाले लोगों को 1,000 रुपये की एकमुश्त सहायता राशि देगी ताकि वो अपने लिए कपड़े और निजी सामान खरीद सकें.
मणिपुर का जातीय संघर्ष नया नहीं
जातिय संघर्ष मणिपुर में कोई नया नहीं है. नेशनल कॉनफ्लिक्ट मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के अनुसार 1993 में नागा और कुकी समुदाय के बीच बड़ा संघर्ष हुआ था जिसमें लगभग 400 कुकी मारे गए थे. 8 अप्रैल, 1989 को पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने मणिपुर की राजधानी इंफाल के पास घात लगाकर भारतीय पुलिस सेवा की अधिकारी वंदना मल्लिक की हत्या कर दी थी. 1993 में मई और सितंबर महीनों के बीच नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड के हथियारबंद चरमपंथियों के हमलों में सुरक्षाबलों के 120 के आसपास जवान और अधिकारी मारे गए थे.
मणिपुर की घटना को आरएसएस से जोड़कर वामपंथियों ने फैलाया झूठ
मणिपुर की घटना पर आरोपितों की गिरफ्तारी वीडियो सामने आने के बाद हुई. इसके बाद विपक्षी दलों ने इस पर खूब राजनीति की. प्रोपेगंडा फैलाया कि आरोपित RSS से संबंध रखते हैं. वामपंथी नेता आईसी घोष ने इसी पर आधारित एक तस्वीर शेयर की. कानपुर से सांसद रहीं वामपंथी नेता सुभाषिनी अली ने तस्वीर शेयर करते हुए लिखा कि ये मणिपुर के आरोपित हैं. दावा एकदम झूठा निकाला. मणिपुर वायरल वीडियो कांड के आरोपितों का RSS से दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं है. अब सवाल उठता है कि फिर तस्वीर में दिख रहे व्यक्ति कौन हैं? असल में ये फोटो मणिपुर के प्रदेश उपाध्यक्ष चिदानंद सिंह की है. साथ में दिख रहा व्यक्ति उनका बेटा है. उन्होंने वायरल तस्वीरों पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि उनके या उनके परिवार का इस घृणित अपराध, या इस तरह के किसी भी अपराध से कोई लेनादेना नहीं है.