चीन के सबसे अहम प्रोजेक्ट बेल्ट एंड रोड BRI से इटली बाहर हो गया है. इस बारे में इटली की पीएम जॉर्जिया मेलोनी ने भारत में जी 20 शिखर सम्मेलन के दौरान व्यक्तिगत रूप से चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग को जानकारी दी थी. उन्होंने साफ कर दिया था कि इटली इस अहम प्रोजेक्ट से बाहर होने का फैसला कर चुका है क्योंकि इसके लिए किया गया समझौता हमारी उम्मीदों को पूरा करने में विफल है. इटली ने अब आधिकारिक तौर पर अब इस प्रोजेक्ट से बाहर होने की घोषणा की है. इटली अब भारत के साथ व्यापारिक रिश्तों को नई ऊंचाई देना चाहता है. उसने जी20 के दौरान एक अहम समझौते पर साइन भी किए थे.
इटली के एक अखबार के हवाले से खबर है कि इटली की पीएम मेलोनी के नेतृत्व वाले एक समूह ने इस बारे में चीन की सरकार को जानकारी दी है. खबर के अनुसार तीन दिन पहले चीन को इटली ने BRI छोड़ने की जानकारी दी है. इटली 4 साल पहले BRI में शामिल हुआ था और तब 23 मार्च, 2019 को तत्कालीन इटैलियन पीएम ग्यूसेप कोंटे ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ इस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. इटली ऐसा कदम उठाने वाला एकमात्र प्रमुख पश्चिमी देश बन गया था.
कई राउंड की वार्ता भी हुई पर बात नहीं बनी…
रिपोर्ट में बताया गया है कि इटली और चीन के बीच कई हफ्तों तक पर्दे के पीछे कई राउंड वार्ता भी हुई लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. विदेश मंत्री एंटोनियो ताजानी ने कहा था कि चीन के साथ बेल्ट एंड रोड पहल में चार वर्ष पहले इटली शामिल हुआ था लेकिन इसमें शामिल होने के बाद भी दोनों देशों के बीच व्यापार में उम्मीद के अनुरूप वृद्धि नहीं हो पाई है. इटली का प्रोजेक्ट से बाहर होना चीन और राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने लिए बहुत बड़ा झटका माना जा रहा है. उनका अहम प्रोजेक्ट बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआई) अब मुश्किल में है.
भारत के साथ नए प्रोजेक्ट्स पर कर सकता है इटली
गौर करनेवाली बात है कि एक तरफ इटली ने चीन को झटका दे दिया है तो वहीं दूसरी तरफ वह भारत के साथ रिश्तों को नई ऊंचाई दे रहा है. दुबई में पीएम मोदी के साथ मेलोनी की सेल्फी कौन भूल सकता है? दरअसल नई दिल्ली में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत, अमेरिका, इटली, सऊदी अरब, फ्रांस, जर्मनी और यूरोपीय संघ ने एक साथ मिलकर IMEC प्रोजेक्ट पर सहमति जताते हुए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. यह नया प्रोजेक्ट चीन के BRI का जवाब माना गया था. दरअसल इस नए प्रोजेक्ट से भारत, पश्चिम एशिया और यूरोप से सीधे जुड़ जाएगा और इससे व्यापारिक रिश्तों में तेजी आएगी.