बिहार में लागू नहीं होगा एनआरसी, विधानसभा में प्रस्ताव पारित


बिहार में एनआरसी (नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन) लागू नहीं होगा। बजट सत्र के दूसरे दिन विधानसभा में सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित कराया गया। वहीं, राज्य में 2010 के फॉर्मेट पर ही एनपीआर (नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर) होगी। इसमें सिर्फ ट्रांसजेंडर का कॉलम जोड़ा जाएगा। एनआरसी के खिलाफ प्रस्ताव पारित कराने वाला एनडीए शासित बिहार पहला राज्य है। मंगलवार को विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने के बाद ही विपक्ष इस बात को लेकर लगातार हंगामा कर रहा था कि सरकार एनपीआर को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट करे। सुशील मोदी के बजट भाषण के बाद विधानसभा अध्यक्ष विजय चौधरी ने एनआरसी लागू नहीं करने संबंधी प्रस्ताव दिया, जिस पर सभी दलों ने सहमति जताई।

‘2020 के फॉर्मेट पर एनपीआर होना कुछ लोगों के खिए खतरा’
इससे पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि 2020 के फॉर्मेट पर एनपीआर होना कुछ लोगों के खिए खतरा है। अगर एनपीआर में कुछ खास जानकारी ली जाती है और भविष्य में कभी एनआरसी होती है तो उन्हें परेशानी होगी। इसलिए 2020 के फॉर्मेट पर एनपीआर नहीं होना चाहिए।

एनआरसी का कोई तुक नहीं
नीतीश ने कहा कि एनआरसी की कोई जरूरत नहीं है। इस पर अभी कोई बात नहीं हुई है। खुद देश के प्रधानमंत्री ने कहा है- एनआरसी पर कोई चर्चा नहीं हुई है। जब इस पर कोई फैसला हुआ ही नहीं है तो चिंता क्यों करते हैं। एनआरसी का कोई तुक नहीं है। जहां तक सीएए का मुद्दा है तो यह मामला सुप्रीम कोर्ट के पास है। सबको सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए।

नीतीश कुमार की घोषणा पर कोई संदेह नहीं: मोदी
उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि बिहार में एनपीआर 2010 के फॉर्मेट पर ही होगा। नीतीश कुमार की घोषणा पर कोई संदेह नहीं है। जब 2010 में कोई दस्तावेज नहीं मांगा गया तो 2020 में भी नहीं मांगा जाएगा। किसी को कोई पेपर दिखाने की जरूरत नहीं है।

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