सुप्रीम कोर्ट ने हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट में अडानी समूह की कंपनियों के खिलाफ लगाए गए धोखाधड़ी के आरोपों की जांच के लिए गठित विशेषज्ञ समिति (Expert Committee) में वकील सोमशेखर सुंदरेसन को शामिल करने के संबंध में उठाई गई आपत्तियों पर कड़ी नाराजगी जाहिर की. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता की तरफ से सुंदरेसन को लेकर हितों के टकराव (Conflict of Interest) के संबंध में जो दावा किया, वो पूरी तरह निराधार था.
किस बात पर नाराज हुए सीजेआई?
24 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जब याचिकाकर्ता की तरफ से पेश वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि सुंदरेसन, अडानी ग्रुप के लिए सेबी के सामने बतौर वकील पेश हुए थे, तो सीजेआई चंद्रचूड़ ने उन्हें टोक दिया. चीफ जस्टिस ने कहा कि यह 17 साल पहले की बात है और सुंदरेसन अडानी ग्रुप के कोई आंतरिक (इन हाउस) वकील नहीं थे.
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, ”वह (अडानी समूह के) इन-हाउस वकील नहीं थे, बल्कि एक एडवोकेट के तौर पर पेश हुए थे…वह भी साल 2006 में. अब 17 साल बाद हितों के टकराव की बात कहां से आई? सीजेआई ने कहा कि किसी पर इस तरह का आरोप लगाते हुए जिम्मेदार होना चाहिए. सीजेआई ने टिप्पणी की, ”यह उस समिति के लिए बहुत अनुचित है. इस तरह तो लोग अदालत द्वारा नियुक्त समितियों के लिए काम करना बंद कर देंगे…”
Bar & Bench की एक रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट की जांच के लिए जो विशेषज्ञ समिति गठित की गई, उसके सदस्यों को सिर्फ सेवानिवृत्त न्यायाधीशों तक सीमित नहीं रखा गया, बल्कि समिति में तमाम फील्ड के एक्सपर्ट्स को नियुक्त किया था. ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि समिति के पास डोमेन की विशेषज्ञता है.