पाकिस्तान में एक विशेष जिला अदालत ने सोमवार को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पीएम शहबाज शरीफ (PM Shehbaz Sharif) के बेटे सुलेमान शहबाज और दूसरे आरोपियों को बरी कर दिया है. जिला अदालत शहबाज शरीफ के बेटे सुलेमान और पीकेआर के 16 अरब रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दूसरे आरोपियों की ओर से दायर बरी करने की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. पाकिस्तान के अखबार ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की रिपोर्ट के मुताबिक संघीय जांच प्राधिकरण ने इससे पहले अदालत द्वारा पूछे गए 27 सवालों के जवाब दिए हैं. जज बख्त फखर बेहजाद को एफआईए के वकील ने बताया कि डॉ. रिजवान के नेतृत्व में एक संयुक्त जांच दल (जेआईटी) ने मनी लॉन्ड्रिंग केस की जांच की.
बाद में जब अदालत ने पूछा कि क्या एफआईए ने जांच के दौरान किसी गवाह का कोई लिखित बयान दर्ज किया है, जिस पर एफआईए के जांच अधिकारी (आईओ) अली मर्दन चुप रहे. अदालत ने आगे पूछा कि उन्होंने उन लोगों के खिलाफ क्या कार्रवाई की है, जो जांच के दौरान अपना रुख बदलते रहे. इस पर जांच अधिकारी ने जवाब दिया कि कोई कार्रवाई नहीं की गयी. हालांकि एफआईए के वकील ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग के संबंध में सुलेमान के खिलाफ कोई सीधे सबूत नहीं है. जब कोर्ट ने सुलेमान के खिलाफ किसी अप्रत्यक्ष सबूत के बारे में पूछा तो जांच अधिकारी ने कहा कि चीनी जांच आयोग की रिपोर्ट को देखते हुए जांच शुरू की गई.
एफआईए ने जांच के दौरान सुलेमान के बैंक खातों की जांच की लेकिन उसके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला. जब पूछा गया कि सुलेमान के खिलाफ मामला क्यों दर्ज किया गया, तो आईओ ने जवाब दिया कि सुलेमान के खाते में पैसा जमा किया जाएगा और फिर नकद में निकाला जाएगा. इसके अलावा अदालत ने आरोपियों की ओर पेश दलीलों को मान लिया और सुलेमान और दूसरे लोगों को मामले से बरी कर दिया.
एफआईए ने शहबाज शरीफ और उनके दो बेटों- हमजा और सुलेमान पर 2008 और 2018 के बीच 28 बैंक खातों के जरिये लगभग 16.3 अरब रुपये के भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया था, जिनमें खाताधारकों का कोई नाम नहीं था. संघीय सरकार में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के कार्यकाल के दौरान नवंबर 2020 में आरोप दायर किए गए थे. हालांकि शहबाज और हमजा को अक्टूबर 2022 में ही मामले से बरी कर दिया गया था.