निपाह वायरस (Nipah Virus) ने केरल (Kerala) में एक बार फिर से दस्तक दी है. केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ मनसुख मांडविया (Health Minister Mansukh Mandaviya) ने कहा कि केन्द्रीय टीम केरल भेजी गयी है. मांडविया के मुताबिक निपाह की वजह से अब तक केरल में दो लोगों के मौत की पुष्टि हुई है जबकि कुछ लोग सस्पेक्टेड हैं. इसके साथ ही सस्पेक्टेड लोगों का सैम्पल एनआईवी पुणे भेजा गया है जहां से जांच रिपोर्ट आने के बाद और भी अधिक मामले की जानकारी मिलेगी.
एम्स के कम्युनिटी मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ संजय राय ने कहा कि इस बीमारी में केस एसिम्टोमैटिक भी अच्छे खासे होते हैं; जरूरी नहीं है कि सबमें लक्षण दिखे. इसमें अधिकतर रेस्पिरेटरी सिस्टम देखे जाते हैं जिसमें खांसी आना, गले में खराश आना इस तरह की परेशानी मुख्य लक्षण है. ह्यूमन में मोर्टालिटी रेट ज्यादा है जो 50 से 70 फ़ीसदी तक है.
निपाह या फिर कोरोना की शुरुआत केरल से ही क्यों ?
लेकिन सवाल ये उठता है कि आखिर भारत में निपाह या फिर कोरोना की शुरुआत केरल से ही क्यों हुई? एम्स दिल्ली में कम्युनिटी मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ संजय राय के मुताबिक केरल की भौगोलिक स्थिति को समझना होगा. केरल में एक तरफ जंगल है तो दूसरी ओर समुद्र. दोनों में तरह-तरह के जानवर होते हैं. इनके सम्पर्क में आने से जल्द ही बीमारी के शिकार होते हैं. केरल में हर घर में जानवर पालने की भी प्रथा है. जैसे दक्षिण अफ्रीका की भी वही स्थिति है. वहां भी आए दिन नई बीमारी का पता चलता है.
क्या केरल में आने वाले पर्यटक ये बीमारी साथ लाए?
निपाह जानवरों से इंसान में आता है जो लोग संक्रमित जानवर के डायरेक्ट कांटेक्ट में आए. इसमें भी खास करके सूअर के, उससे उन लोगों में ये बीमारी फैली. डॉक्टर संजय राय के मुताबिक कोविड हो या निपाह इसके अलावा हेपेटाइटिस बी, चिकनगुनिया, जीका वायरस, बर्ड फ्लू, स्वाइन फ्लू, रैट फीवर, जैपनीस इन्सेफलाइटिस जैसी बीमारी का पता भी केरल से चला. कुछ जानकार ये भी मानते हैं कि केरल में बाहर से पर्यटक भी काफी आते हैं. ऐसे में बाहर से भी बीमारी आने का खतरा रहता है.