केंद्र सरकार ने गुरुवार को मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों का चयन करने वाले पैनल से सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को हटाने वाला एक बिल पेश किया. इसमें सीजेआई के बजाय तीन सदस्यों के पैनल में अब एक कैबिनेट मंत्री के अलावा लोकसभा में विपक्ष के नेता और प्रधानमंत्री को शामिल करने का प्रस्ताव है, जो चयन समिति का नेतृत्व करेंगे. मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) विधेयक- 2023 को मणिपुर पर विरोध के बीच राज्यसभा (Rajya Sabha) में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने पेश किया.
इसे बाद विपक्ष ने तुरंत कहा कि इससे चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवालिया निशान लग जाएगा क्योंकि चयन पैनल में प्रभावी रूप से बीजेपी के दो सदस्य होंगे- प्रधान मंत्री और कैबिनेट मंत्री. चुनाव आयोग में अगले साल फरवरी में एक पद खाली होगा, जब संभवतः 2024 के आम चुनाव की तारीखों की घोषणा से कुछ दिन पहले चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडे रिटायर होंगे. गौरतलब है कि इस साल मार्च में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने फैसला सुनाया था कि चुनाव पैनल में प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता (LoP) और सीजेआई शामिल होने चाहिए. अदालत ने कहा था कि यह आदेश तब तक प्रभावी रहेगा जब तक संसद से इस बारे में नया कानून नहीं बना दिया जाता.
जस्टिस केएम जोसेफ, अजय रस्तोगी, अनिरुद्ध बोस, हृषिकेश रॉय और सीटी रविकुमार की संविधान पीठ (Constitution Bench) ने केंद्र सरकार से ईसीआई के लिए एक स्थायी सचिवालय कायम करने पर विचार करने के लिए भी कहा था. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि इसका खर्च भारत के समेकित कोष (Consolidated Fund of India) से वसूला जाए, ताकि देश में चुनाव कराने वाली संस्था वास्तव में आजाद हो सके. सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया था कि ‘एक चुनाव आयोग जो आजाद और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित नहीं करता है, वह कानून के शासन की नींव के टूटने की गारंटी देता है.’
बहरहाल नए बिल में चुनाव आयुक्तों और मुख्य चुनाव आयुक्त का चुनाव करने वाले पैनल से सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को हटाने का प्रावधान है. विधेयक के मुताबिक अगर लोकसभा में कोई नेता विपक्ष नहीं है, तो सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता को ही नेता विपक्ष माना जाएगा. बिल के मुताबिक सबसे पहले सीईसी और चुनाव आयुक्तों के रूप में नियुक्ति के लिए चयन समिति के विचार के लिए पांच व्यक्तियों का एक पैनल तैयार किया जाएगा. बहरहाल विपक्ष ने सरकार पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के आदेश को कमजोर करने का आरोप लगाया है.