अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार को बुधवार को दिल्ली हाईकार्ट से तगड़ा झटका लगा. बजट सत्र की शुरुआत में उपराज्यपाल वीके सक्सेना के अभिभाषण को बाधित करने के लिए विधानसभा से सात भाजपा विधायकों के सरकार ने निलंबित कर दिया था. हाईकोर्ट ने इस आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है. भाजपा विधायक मोहन सिंह बिष्ट, अजय महावर, ओपी शर्मा, अभय वर्मा, अनिल बाजपेयी, जीतेंद्र महाजन और विजेंद्र गुप्ता को पिछले महीने विधानसभा से निलंबन किया गया था. सदन की विशेषाधिकार समिति में मामला लंबित रहने तक उन्हें सस्पेंड किया गया था. विधायकों ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.
न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच ने आदेश में कहा, “रिट याचिकाएं स्वीकार की जाती हैं.” इससे पहले विधायकों ने तर्क दिया था कि विशेषाधिकार समिति के समक्ष कार्यवाही के समापन तक उनका निलंबन नियमों का उल्लंघन था. दूसरी ओर, विधानसभा अधिकारियों ने अदालत में कहा था कि विपक्षी विधायकों ने 15 फरवरी को एनजी सक्सेना को विधानसभा में अपने संबोधन के दौरान कई बार रोका था. ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि एलजी ने आम आदमी पार्टी (आप) सरकार की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला था.
आप विधायक ने पेश किया था सस्पेंशन का प्रस्ताव
इसके बाद आप विधायक दिलीप पांडे ने उनके निलंबन के लिए सदन में एक प्रस्ताव पेश किया था. प्रस्ताव को अध्यक्ष राम निवास गोयल ने स्वीकार कर लिया था. उन्होंने इस मुद्दे को विशेषाधिकार समिति को भी भेजा था. जिसके बाद विपक्ष के नेता रामवीर सिंह बिधूड़ी को छोड़कर, सभी भाजपा विधायकों को सदन की कार्यवाही में भाग लेने से रोक दिया गया. बजट को अंतिम रूप देने में देरी के कारण सत्र को मार्च के पहले सप्ताह तक बढ़ा दिया गया है.