कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों ने की राहुल से मुलाकात, मनाने में रहे नाकाम


कांग्रेस शासित पांच राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने सोमवार को पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की लेकिन लोकसभा चुनाव में पराजय की त्रासदी झेलने के बावजूद पार्टी की नैया खेवनहार बने रहने के लिए उन्हें मनाने में नाकाम रहे. राहुल गांधी से उनके आवास पर मिलने वालों में पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह, मध्य प्रदेश के कमलनाथ, छत्तीसगढ़ के भूपेश बघेल और पुडुचेरी के वी. नारायणसामी शामिल थे. बैठक शुरू होने से पहले गहलोत और बघेल ने कहा कि राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बने रहना चाहिए. उधर, राहुल गांधी ने संसद भवन में संवाददाताओं से कहा, “मैं अपना फैसला स्पष्ट बता चुका हूं. आप सभी यह जानते हैं.”

राहुल गांधी फैसला ले चुके हैं कि वह अब पार्टी का नेतृत्व नहीं करेंगे. लोकसभा चुनाव में पार्टी के महज 52 सीटों तक सिमटने के बाद पार्टी के मुख्यमंत्रियों के साथ उनकी यह पहली बैठक थी.

राहुल के फैसला लेने के बाद उनके साथ ‘एकजुटता’ दिखाने के लिए कांग्रेस के बहुत सारे नेता अपने पद से इस्तीफा दे चुके हैं, ताकि वह देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी का पुनर्गठन स्वतंत्र होकर कर सकें. बैठक से पहले गहलोत ने ट्वीट किया था, “हमारा दृढ़ विश्वास है कि वर्तमान परिदृश्य में केवल वही (राहुल) पार्टी का नेतृत्व कर सकते हैं। उनकी प्रतिबद्धता जो हमारे देश और देश के लोगों के हित से जुड़ी हुई है, उससे कोई समझौता नहीं हो सकता, वह अतुलनीय है.” वहीं, बघेल ने कहा, “हम सभी चाहते हैं कि राहुलजी अध्यक्ष बने रहें। उन्हें हमारा नेतृत्व करते रहना चाहिए.”

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मीडिया से बातचीत में सभी मुख्यमंत्रियों की तरफ से कहा कि राहुल के साथ 90 मिनट तक खुलकर बात हुई. सभी ने उनसे कहा कि चुनाव में हार कोई नई बात नहीं है. उन्होंने कहा, “हमने उन्हें अपनी भावनाओं से अवगत कराया। उन्होंने हमें ध्यान से सुना और हमें लगता है कि वह उचित समय पर फैसला लेंगे.”

यह पूछे जाने पर कि क्या वह (गहलोत) और मध्य प्रदेश के कमलनाथ ने अपने-अपने राज्य में महज दो सीटों तक सिमट जाने के बाद अपने पद से इस्तीफा देने की पेशकश की थी, गहलोत ने कहा कि पेशकश तो चुनाव के नतीजे आते ही, उसी दिन की गई थी. उस पर फैसला तो पार्टी नेतृत्व और हाईकमान को लेना है. सोमवार को कई पार्टी कार्यकर्ताओं ने राहुल के समर्थन में कांग्रेस मुख्यालय में अनशन किया और बाद में समर्थन में नारे लगाते हुए उनके आवास पर गए.

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