
ऑटो सेक्टर की कंपनियों के मुनाफे पर असर पड़ने और उपभोग मांग में सुस्ती रहने के साथ-साथ बीएस-6 मानकों के अनुपालन को लेकर ऑटो उद्योग का उत्पादन और घटने की संभावना बनी हुई है, जिसके फलस्वरूप इस क्षेत्र में काम करने वालों पर बेरोजगार होने का खतरा बना हुआ है। उद्योग से जुडे़ लोगों ने बताया कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) अधिक होने और कृषि क्षेत्र के संकटग्रस्त होने के साथ-साथ वेतन व मजदूरी में वृद्धि नहीं होने व तरलता का संकट रहने के कारण उद्योग में मांग में सुस्ती बनी हुई है, जिससे हर महीने बिक्री कम होती जा रही है।
उधर, डीलरों के पास इन्वेंटरी बढ़ती जा रही है। इसके अलावा, बीएस-4 मानक के बिना बिक्री के वाहनों के स्टॉक का प्रबंधन एक बड़ी समस्या बन गई है। ग्रांट थॉर्नटन इंडिया के पार्टनर श्रीधर वी. ने कहा कि यात्री वाहनों की बिक्री घटने से आगे उत्पादन में और कटौती हो सकती है।
वी. श्रीधर ने कहा, ‘ओईएम (ऑरिजनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर) संचालन स्तर पर लागत को कम करने के रास्ते तलाश रहे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘कठिन दौर से उबरने के लिए वे उत्पादन में कटौती का सहारा ले रहे हैं।’ ऑटो उद्योग की बिक्री में गिरावट काफी मायने रखती है, क्योंकि देश के विनिर्माण क्षेत्र के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में इसका योगदान तकरीबन आधा है और जीएसटी से प्राप्त राजस्व में इसका योगदान 11 फीसदी है।
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च (फिच ग्रुप) की सीनियर एनालिस्ट रिचा बुलानी ने बताया, ‘उपभोक्ता मांग में लंबे समय से नरमी रहने और डीलरों के पास इन्वेंटरी बढ़ने से ओईएम के लिए उत्पादन में कटौती करना आवश्यक हो गया है।’