
चालू रबी सीजन में चने की नई फसल की आवक ने अभी जोर पकड़ा भी नहीं कि भाव एमएसपी से 1,000 रुपये क्विंटल नीचे आ गया है। देश में इस साल चने की बंपर पैदावार है और पिछले साल का भी स्टॉक पड़ा हुआ है। ऐसे में किसानों को चने की फसल का लाभकारी दाम दिलाना सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी।
केंद्र सरकार ने चालू रबी विपणन वर्ष 2019-20 के लिए चने का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 4,875 रुपये प्रतिक्विंटल तय किया है।
बाजार सूत्रों के अनुसार, सोमवार को देश की प्रमुख मंडियों में चने का भाव 4,000 रुपये प्रति क्विंटल था। वहीं, कर्नाटक के गुलबर्गा में चने की नई फसल का दाम 3,800-3,950 रुपये प्रतिक्विंटल जबकि महाराष्ट्र की अमरावती मंडी में 3,775-3,800 रुपये प्रतिक्विंटल था।
उधर, कृषि उत्पादों का देश का सबसे बड़ा वायदा बाजार नेशनल कमोडिटी एंड डेरीवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीएक्स) पर चने का भाव 3,942 रुपये प्रति क्विंटल तक टूटा। बीते एक महीने में एनसीडीएक्स पर चने के दाम में करीब 12.50 फीसदी की गिरावट आई है।
ऑल इंडिया दाल मिल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने बताया कि सरकारी एजेंसी नैफेड द्वारा कम भाव पर चने के पुराने स्टॉक की बिकवाली के कारण बाजार में चने के दाम पर दबाव बना हुआ है जिसका नुकसान किसानों को हो रहा है।
उन्होंने बताया कि नैफेड ने पिछले दिनों कुछ मंडियों में 3,950 रुपये प्रतिक्विंटल पर पुराना चना बेचा जबकि कुछ समय पहले एंजेंसी ने कहा था कि वह एमएसपी से कम भाव पर चना नहीं बेचेगी। पिछले साल 2018-19 में सरकार ने चने का एमएसपी 4,620 रुपये प्रतिक्विंटल तय की थी जिस पर नैफेड द्वारा किसानों से सीधे चने की खरीदारी की गई थी।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा पिछले महीने जारी फसल वर्ष 2019-20 (जुलाई-जून)के दूसरे अग्रिम उत्पादन अनुमान के अनुसार, देश में इस साल चना का रिकॉर्ड 112.2 लाख टन उत्पादन होने का आकलन किया गया है। चालू फसल वर्ष में मानसून के मेहरबान रहने और रबी सीजन में मौसमी दशाएं अनुकूल रहने के कारण चना समेत अन्य रबी फसलों की बंपर पैदावार है।
अग्रवाल ने कहा कि नैफेड ने अगर नई फसल की आवक शुरू होने से पहले चने की बिकवाली की होती तो आज कीमतों में इतनी गिरावट नहीं आती।
एक अन्य कारोबारी ने कहा कि अभी जब चने का दाम सरकार द्वारा तय एमएसपी से 1,000 रुपये क्विंटल नीचे चल रहा है तो आने वाले दिनों में जब आवक जोर पकड़ेगी तो कीमतों में और गिरावट आ सकती है।
दलहन बाजार विशेषज्ञ अमित शुक्ला ने कहा कि सरकार को इस साल चने की खरीद बढ़ानी होगी तभी किसानों को उनकी फसल का उचित दाम मिल पाएगा।