माना जाता है कि खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) हिजबुल्लाह जैसे ईरान के समर्थन वाले लड़ाकू संगठनों की बढ़ती ताकत, सऊदी अरब पर यमन के हूती विद्रोहियों के हमलों के साथ बढ़ते तनाव के बारे में चिंतित है. ये घटनाएं इराक को अस्थिर कर सकती हैं जहां सउदी, अमीरात और अन्य देशों ने हाल ही में अरबों डॉलर का निवेश किया है. जीसीसी में सऊदी अरब, कुवैत, यूएई, कतर, ओमान और बहरीन शामिल हैं. इनको चिंता है कि हमास-इजरायल जंग (Israel-Hamas War) की हालिया घटनाओं के कारण ईरान इस इलाके में नया नेता और फैसला लेने वाली ताकत के तौर पर उभर सकता है.
हालांकि सऊदी अरब ने कुछ हद तक ईरान के साथ संबंधों को सामान्य कर लिया है. लेकिन दोनों के बीच तनाव स्वाभाविक है क्योंकि पूरे मुस्लिम जगत का मुखिया बनने के लिए दोनों देशों के बीच होड़ लगातार जारी है. टॉप खुफिया सूत्रों के मुताबिक ईरान हर वक्त गाजा (Gaza) में युद्ध के मैदान पर और क्षेत्रीय स्तर पर पर्दे के पीछे से हमले कर रहा है. लेबनानी सैन्य समूह हिजबुल्लाह अपनी सीमा पर इजरायल के साथ गोलीबारी में लगा हुआ है और ईरान की सलाह पर अपने फैसले ले रहा है. जबकि जीसीसी की छवि सऊदी अरब के नेतृत्व में इस मुद्दे पर हिचकिचाने वाले संगठन की बन रही है.
सऊदी अरब और अन्य मुस्लिम देशों ने शनिवार को गाजा में सैन्य अभियान खत्म करने के लिए तत्काल कार्रवाई की अपील की. रियाद में असाधारण संयुक्त इस्लामिक-अरब शिखर सम्मेलन ने अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय से फिलिस्तीनी इलाकों में इजरायल द्वारा किए जा रहे युद्ध अपराधों और मानवता के खिलाफ अपराधों” की जांच करने की अपील की. ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी, तुर्की के राष्ट्रपति तैय्यप एर्दोगन, कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी और सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद सहित दर्जनों नेताओं ने रियाद में संयुक्त इस्लामी-अरब शिखर सम्मेलन में भाग लिया.
अंत में तत्काल युद्धविराम की अपील करने और आत्मरक्षा के इजरायल के दावे को खारिज करने के लिए बयान जारी करने के लिए सामूहिक रजामंदी से पता चलता है कि सऊदी अरब और उसके दोस्त अनिच्छा से ही सही, फिलिस्तीनी मुद्दे पर ईरान को नेता के रूप में स्वीकार करने के लिए सहमत हैं. उन्होंने ईरान के इस रुख को भी स्वीकार किया कि हमास फिलिस्तीनियों का प्रतिनिधित्व करता है. सूत्रों ने कहा कि इसका मतलब यह है कि जनता में हमास की वैधता और गाजा पर उसका शासन अंततः भविष्य में आकार ले सकता है. वे भविष्य में अमेरिका और उसके सहयोगियों पर युद्ध रोकने के लिए इजरायल पर दबाव डालने और हमास को गंभीर सैन्य नुकसान से बचाने के लिए तेल प्रतिबंध भी लगा सकते हैं.