विराट कोहली धर्मशाला में ‘भगवान’ से नहीं मिल पाए. वो करीब आकर चूक गए. उन्हें इस लम्हे के लिए शायद और इंतजार करना होगा लेकिन कोहली को इससे परेशानी हो, ऐसा लगता नहीं क्योंकि उनका बल्ला बोल रहा है और टीम इंडिया वर्ल्ड कप में जीत का पंजा खोल चुकी है. यहां किस ‘भगवान’ की बात हो रही? ये बताने की बहुत ज्यादा जरूरत नहीं क्योंकि क्रिकेट का एक ही भगवान रहा है और वो हैं सचिन तेंदुलकर.
धर्मशाला में कोहली सचिन के 49 वनडे शतकों के रिकॉर्ड की बराबरी से सिर्फ 5 रन से चूक गए. हालांकि, देर-सवेर ही सही, कोहली इस रिकॉर्ड की बराबरी भी करेंगे और अपने आयडल सचिन से आगे भी निकल जाएंगे. इससे ज्यादा अहम ये है कि कोहली इस वर्ल्ड कप में भारतीय टीम के लिए वही भूमिका निभा रहे हैं, जो रोल 2011 में सचिन तेंदुलकर ने टीम इंडिया के लिए निभाई थी. कोहली के आस-पास ही भारत की बैटिंग घूम रही. सिर्फ बल्लेबाजी ही नहीं, बल्कि कप्तानी में भी रोहित जब फंस रहे हैं, तो वो विराट के पास ही सलाह के लिए जा रहे. 2011 में सचिन ने भी टीम को चैंपियन बनाने के लिए कुछ ऐसा ही किया था.
कोहली वर्ल्ड कप 2023 में सचिन जैसा रोल निभा रहे
बता दें कि 2011 के वर्ल्ड कप में सचिन तेंदुलकर भारत के लिए अधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी थे. उन्होंने 53 की औसत से 482 रन बनाए थे, जिसेमें 2 शतक और इतने ही अर्धशतक शामिल थे. कोहली भी वर्ल्ड कप 2023 में सचिन की राह पर चलते दिख रहे. वो पहले 5 मैच में ही 118 की औसत से 354 रन बना चुके हैं. पाकिस्तान के खिलाफ मैच को छोड़ दें, तो कोहली का बाकी चारों मैच में टीम इंडिया की जीत में बड़ा हाथ था.
2011 में सचिन भारतीय टीम के धुरी थे
वर्ल्ड कप 2023 में अबतक कोहली ने जितनी भी पारियां खेली हैं, वो ऐसे मौके पर आईं हैं, जब टीम को उसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी और सभी इनिंग्स ने निर्णायक रूप से मैच को प्रभावित किया था.
कोहली इस बार सचिन की भूमिका निभा रहे
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वर्ल्ड कप 2023 के पहले मैच में, कोहली को भारतीय पारी की पांचवीं गेंद पर ही बैटिंग के लिए उतरना पड़ा था. कोहली को भी एक जीवनदान मिला था लेकिन बिना किसी चिंता के उन्होंने स्पिन गेंदबाजों के मददगार विकेट पर 200 रन के लक्ष्य का पीछा कर भारत को जीत दिलाई थी. अफगानिस्तान के खिलाफ उन्होंने अर्धशतक लगाया. वहीं, बांग्लादेश के खिलाफ रन चेज में छक्का लगाकर न सिर्फ अपना 48वीं शतक पूरा किया, बल्कि टीम इंडिया को जीत भी दिलाई.
भारत की पांच में से 4 जीत में कोहली का हाथ
इस मैच में भारत ने तेज शुरुआत के बाद अपने दोनों ओपनर्स के विकेट गंवा दिए थे. उस समय ऐसे बैटर की जरूरत थी, जो सूझबूझ से बैटिंग करें, कोहली ने वो जिम्मेदारी उठाई थी. सिर्फ उसी मैच में ही नहीं, बल्कि तेंदुलकर की विदाई के बाद से ही वो ये रोल टीम इंडिया के लिए निभा रहे हैं. जो करोड़ों उम्मीदों का बोझ, कभी सचिन अपने कंधे पर उठाते थे, वो कब कोहली के कंधों तक आ गया? पता ही नहीं चला और सालों बीत गए.