UNSC पर जयशंकर ने कसा तंज, कहा- ‘पुराने क्‍लब’ जैसा, जहां सदस्‍य अपनी पकड़ खोना नहीं चाहते

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) पर तीखा कटाक्ष करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि यह एक ‘पुराने क्लब’ की तरह है जहां सदस्य देश नए सदस्यों को शामिल करने को तैयार नहीं हैं. सदस्‍य देश को लगता है कि वह अपनी पकड़ खो रहा है. वे रविवार को बेंगलुरु में रोटरी इंस्टीट्यूट 2023 कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. उन्‍होंने कहा कि ‘क्लब’ के सदस्य नहीं चाहते कि उनकी प्रथाओं पर सवाल उठाया जाए.

जयशंकर ने कहा, “एक तरह से, यह मानवीय विफलता है. लेकिन मुझे लगता है कि आज यह दुनिया को नुकसान पहुंचा रहा है. यह दुनिया को नुकसान पहुंचा रहा है, क्योंकि दुनिया के सामने आने वाले प्रमुख मुद्दों पर संयुक्त राष्ट्र कम प्रभावी होता जा रहा है. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि सुरक्षा परिषद एक पुराने क्लब की तरह है, जहां कुछ ऐसे सदस्य हैं जो अपनी पकड़ छोड़ना नहीं चाहते. वे क्लब पर नियंत्रण बनाए रखना चाहते हैं. वे अधिक सदस्यों को शामिल करने के लिए उत्सुक नहीं हैं, न ही उनकी कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने के इच्छुक हैं.

200 देशों से पूछें कि क्या आप सुधार चाहते हैं या नहीं चाहते हैं?
विदेश मंत्री ने इसे विफलता बताते हुए कहा कि बिना किसी सुधार के, संयुक्त राष्ट्र कम प्रभावी होता जा रहा है. उन्‍होंने कहा कि “और मैं आपको वैश्विक भावना भी बता सकता हूं. मेरा मतलब है, आज, अगर आप दुनिया के 200 देशों से पूछें कि क्या आप सुधार चाहते हैं या नहीं चाहते हैं? बहुत बड़ी संख्या में देश कहेंगे, हां, हम सुधार चाहते हैं. उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि राष्ट्र मौजूदा चुनौतियों से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार के प्रयासों का आग्रह कर रहे हैं.

संरचना में सुधार के लिए संयुक्त राष्ट्र का प्रतिरोध
इससे पहले सितंबर में, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि अपनी संरचना में सुधार के लिए संयुक्त राष्ट्र के प्रतिरोध से अंततः यह संस्था “अनाक्रोनिस्टिक” हो जाएगी और लोग बाहर समाधान ढूंढना शुरू कर देंगे. जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों के साथ तुलना करते हुए बस में बैठे उन यात्रियों का ‘विवेकपूर्ण’ संदर्भ दिया था.

वे उठकर अपनी अपनी सीट किसी और के लिए नहीं छोड़ेंगे
उन्‍होंने कहा था कि “मैंने कहीं नासमझी में…इसे बस में एक यात्री की तरह वर्णित किया है. ऐसे समझें कि कोई एक व्यक्ति बस की सीट पर बैठा है, वह इसे अगले व्यक्ति के लिए खाली नहीं करेगा. तो ये पांच लोग बैठे हैं. कभी-कभी, आप ऐसे यात्रियों को देखते हैं, आप किसी को देखते हैं कि वे थके हुए हैं…, कोई बच्चे को ले जा रहा है, वे उठकर अपनी सीट किसी और के लिए नहीं छोड़ेंगे.’ गौरतलब है कि वैश्विक व्यवस्थाओं में सुधार, भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लगातार वैश्विक मंच पर उठाया जाने वाला मुद्दा रहा है.

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