राजस्थान में बीजेपी ने अपनी पहली सूची में ही कांग्रेस के सामने चुनौती ती पेश कर दी है. बीजेपी ने 41 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट में 12 उन सीटों पर टिकट बांटे हैं जहां वह आज तक चुनाव नहीं जीत पाई या सिर्फ एक बार जीती है. बीजेपी उनको ‘डी’ श्रेणी की सीटें मानती है. इस आखिरी श्रेणी में बीजेपी के पास 19 सीटें है. बीजेपी ने इन 19 में से 12 सीटों पर पहली सूची में ही उम्मीदवार उतार दिए हैं, जबकि अक्सर पार्टियां कमजोर सीटों पर आखिरी में टिकट देती है. वह भी सामने वाली पार्टी के प्रत्याशी और समीकरण देखकर, लेकिन इस बार बीजेपी ने इस मामले में नया प्रयोग किया है.
बीजेपी ने ‘डी’ श्रेणी की इन 12 सीटों में भी उन तीन सीटों नवलगढ़, बागीदौरा और दांतारांमगढ से भी प्रत्याशी उतार दिए हैं जहां वह 1952 से लेकर आज तक एक बार भी चुनाव नहीं जीत पाई. इस सूची में 10 सीटें ऐसी हैं, जहां बीजेपी 1952 से लेकर अब तक सिर्फ एक बार जीती हैं. इन 10 में से भी उसने 6 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार दिए हैं. ये छह सीटें हैं झूंझनूं, फतेहपुर, लक्ष्णगढ़, कोटपूतली, सपोटरा और बामनवास.
कांग्रेस को बदलनी पड़ सकती है अपनी रणनीति
इसके अलावा बीजेपी की ‘डी’ श्रेणी की 19 सीटें में से तीन ऐसी हैं जिन पर वह पिछले चार चुनाव में एक दफा भी नहीं जीती. इन तीन सीटों में बस्सी, लालसोट और सांचौर हैं. यहां भी पार्टी ने अपने पत्ते खोल दिए हैं और प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है. बीजेपी के इस दांव से कांग्रेस को अपनी रणनीति बदलनी पड़ सकती है.
29 सीटों पर नए चेहरों को टिकट दी है
बीजेपी ने इस सूची में दूसरा दांव नए चेहरों को मौका देकर खेला है. बीजेपी ने अपने 41 प्रत्याशियों में 29 सीटों पर नए चेहरों को टिकट दी है. ‘डी’ श्रेणी की अधिकतर सीटों पर नए चेहरे उतारे गए हैं. इस सूची के जरिए बीजेपी ने गुर्जर वोट बैंक को भी कांग्रेस से निकालकर अपने पाले में लाने की कोशिश की है. इसके तहत गुर्जर नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैसला के बेटे विजय बैंसला को देवली उनयिारा से टिकट देकर पार्टी ने यह बड़ा दांव खेला है. बीजेपी ने चुन्नौतीपूर्ण पूर्ण माने जा रहे गुर्जर बाहुल्य पूर्वी राजस्थान में पहली सूची में अधिक प्रत्याशी घोषित किए हैं.
बीजेपी अगली सूचियों में भी चौंका सकती है
पहली ही लिस्ट में सात सासंदों को मैदान में उतारकर बीजेपी ने ये दिखाने की भी कोशिश की है कि इस दफा वह जीतने के लिए ही मैदान में उतरी है. बीजेपी सूत्रों का कहना है कि बीजेपी अगली सूची में केंद्रीय मंत्रियों और कुछ अन्य सांसदों को भी चुनाव मैदान में उतारकर चौंका सकती है. सासंदों को टिकट देने का फैसला केंद्रीय नेतृत्व का है. टिकट बांटने का सबसे बड़ा आधार सर्वे रहा है.
गुट की बजाय सर्वे रिपोर्ट को प्राथमिकता दी गई है
बीजेपी में टिकट देने से पहले कई स्तर पर सर्वे हुए हैं. हाईकमान के पास पार्टी के अलग अलग सर्वे, संघ के सर्वे और इटंरनल रिपोर्ट थी. टिकट बांटने में ये ही सबसे बड़े आधार बने हैं. टिकट काटने में भी गुट के बजाय सर्वे रिपोर्ट को प्राथमिकता दी गई है. इसी वजह से कालूलाल गुर्जर, नरपत सिंह राजवी, राजपाल सिंह शेखावत और अनिता सिंह गुर्जर जैसे वसुंधरा राजे समर्थकों के टिकट काटे गए हैं. लेकिन राजे समर्थक माने जाने वाले शुभकरण चौधरी को उदयपुरवाटी से टिकट मिला है. बीजेपी की इस आक्रामक रणनीति के बाद कांग्रेस टिकट बंटवारे को लेकर नए सिरे से मंथन कर रही है.