राजस्थान विधानसभा चुनाव में यूं तो अशोक गहलोत कैबिनेट के 17 मंत्री चुनाव हारे हैं, लेकिन इनमें एक अजब संयोग सामने आया है. वह यह है कि राजस्थान में कांग्रेस ने गहलोत सरकार की जिन सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को हथियार बनाकर चुनाव लड़ा था उन योजनाओं के सभी प्रभारी मंत्री चुनाव हार गए. गहलोत की सभी गारंटियों पर पीएम नरेन्द्र मोदी गारंटी भारी पड़ी. इसका परिणाम यह हुआ कि यहां बीजेपी ने बहुमत के 101 के आंकड़े से 14 सीट आगे की छलांग लगाते हुए 115 सीटों पर कब्जा जमा लिया.
विधानसभा चुनाव हारे मंत्रियों में परसादीलाल मीणा स्वास्थ्य मंत्री थे. गहलोत सरकार का सबसे ज्यादा फोकस हेल्थ सेक्टर पर ही था. चिंरजीवी योजना गहलोत सरकार की सबसे बड़ी स्वास्थ्य सुरक्षा की गारंटी थी. चिंरीजीवी स्वास्थ्य बीमा कांग्रेस का चुनावी मुद्दा था. वहीं प्रताप सिंह खाचरियवास खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री थे, जबकि गरीबों को मुफ्त राशन किट बड़ा मुद्दा था. ममता भूपेश महिला एवं बाल विकास मंत्री थीं, जबकि महिलाओं को सस्ता गैस सिलेंडर और स्मार्टफोन भी बड़ा मुद्दा था.
मुफ्त बिजली ने ही दे दिया दगा
इसी तरह से शकुंतला रावत कला एवं संस्कृति व देवस्थान मंत्री थी. शंकुतला रावत ने ही हिंदुओं का गुस्सा कम करने के लिए सरकारी सहायता प्राप्त मंदिरों में सुंदरकांड का पाठ और धर्म ध्वजा लगानी शुरू की थी. लेकिन मतदाताओं उनके इस प्रयास का खारिज कर दिया. उनके अलावा भंवर सिंह भाटी बिजली मंत्री थे. गहलोत सरकार ने आम उपभोक्ता को 100 यूनिट और किसानों को दो हजार यूनिट मुफ्त बिजली दी थी. यह कांग्रेस का चुनावी भी मुद्दा था. लेकिन चल नहीं पाया.
किसानों की कर्जमाफी का मुद्दा भी नहीं दिला पाया सत्ता
इनके साथ ही उदयलाल आंजना सहकारिता मंत्री थे. किसानों की कर्जमाफी के नाम पर ही गत बार गहलोत की सत्ता में वापसी हुई थी. इस बार भी यह मुद्दा था. लेकिन बीजेपी ने कर्जमाफी के नाम पर किसानों के साथ धोखे का आरोप लगाकर गहलोत सरकार को घेर लिया. हारने वाले सातवें मंत्री रमेश मीणा के पास ग्रामीण विकास का जिम्मा था. गहलोत की अधिकांश योजनाएं ग्रामीण इलाके के मतदाताओं को रिझाने वाली थी. लेकिन यहां भी पार नहीं पड़ी.
पेपर लीक और रोजगार का मुद्दा ले बैठा
शिक्षा मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला का महकमा पूरे पांच साल तक पेपर लीक को लेकर चर्चित रहा. बीजेपी ने पेपर लीक और रोजगार न देने का मुद्दा जोरशोर से उठाया था. इससे युवा वर्ग गहलोत सरकार से खासा नाराज था. डॉ. रघु शर्मा गहलोत सरकार में पूर्व स्वास्थ्य मंत्री थे. लेकिन बाद में गुजरात कांग्रेस प्रभारी बना दिए गए थे. इसलिए उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. रघु शर्मा के कोरोना काल में बेहतर काम का दावा किया था. लेकिन जनता ने रघु शर्मा को भी नकारा दिया.
गोविंदराम मेघवाल और अशोक चांदना भी हारे
गोविंदराम मेघवाल आपदा प्रबंधन मंत्री थे. इसके साथ ही वे कांग्रेस की चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष भी थे. गहलोत ने सात गांरटियों में से एक आपदा के समय एक करोड़ के बीमा का वादा भी शामिल था. लेकिन राजस्थान के मतदाताओं ने इसे भी रिजेक्ट कर दिया. अशोक चांदना युवा एवं खेल मंत्री थे. गहलोत सरकार ने युवा नीति और शहरी तथा ग्रामीण ओलंपंकि खेल को मुद्दा बनाया, लेकिन युवाओं ने इसे भी रिजेक्ट कर दिया.