मद्रास हाईकोर्ट से गैर कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के मामले में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के आठ सदस्यों को जमानत मिलने के खिलाफ एनआईए की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करने पर शुक्रवार को सहमति जता दी . शीर्ष अदालत इस मामले की सुनवाई 30 अक्टूबर को करेगी. एनआईए ने अपील में दावा किया है कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) एक चरमपंथी इस्लामिक संगठन है और इसका गठन ‘खतरनाक मंशा’ से किया गया है जिसका लक्ष्य ‘विजन इंडिया 2047’ के तहत देश में शरिया कानून लागू कर मुस्लिम शासन की स्थापना करना है.
एनआईए की याचिका को तत्काल सुनवाई के लिये पीठ में सूचीबद्ध किया गया गया है, जिसमें न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति सुधांशु धुलिया एवं न्यायमूर्ति मनोज मिश्र शामिल हैं. एनआईए की ओर से पेश हुये अधिवक्ता रजत नायर ने शीर्ष अदालत से मामले की सुनवाई आज दिन में करने का अनुरोध किया, और कहा कि हाईकोर्ट ने आठ अरोपियों को बृहस्पतिवार को जमानत दे दी.
पीठ ने उनसे पूछा, ‘किसी को जमानत मिली है, इसमें जल्दी क्या है.’ जब नायर ने कहा कि हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने के लिये विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) रात भर में तैयार की गई है और अदालत से इस पर उचित निर्देश देने का अनुरोध किया गया है. इसके बाद पीठ ने मामले की सुनवाई 30 अक्टूबर को सुनिश्चित की.
याचिका में कहा गया है, ‘‘याचिकाकर्ता भारत संघ (एनआईए) मद्रास हाईकोर्ट की ओर से दिये गये अंतिम आदेश के खिलाफ मौजूदा विशेष अनुमति याचिका दायर करने के लिए बाध्य है… जिससे, गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत पीएफआई सदस्यों के खिलाफ दर्ज एक गंभीर अपराध में उच्च न्यायालय से जमानत मिली है.’’
इसमें कहा गया है, ‘‘सादर निवेदन किया जाता है पीएफआई के नेताओं और कैडरों ने ‘विज़न इंडिया 2047’ के खतरनाक मकसद की प्राप्ति के लिए संगठन का गठन किया है, जिसका उद्देश्य इस देश में शरिया कानून लागू कर इस्लामिक शासन की स्थापना करना है.’’ याचिका में अंतरिम राहत के तौर पर एनआईए ने मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले के कार्यान्वयन पर जांच एजेंसी की याचिका लंबित रहने तक रोक लगाने का अनुरोध किया गया है.