NSA अजीत डोभाल की चीन को दो टूक, कहा- LAC पर टकराव ने हमारे भरोसे को तोड़ा, सामान्य संबंधों के लिए रखी ये शर्त

दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग (Johannesburg) में सोमवार को ‘फ्रेंड्स ऑफ ब्रिक्स’ की बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने भारत की वास्तविक सीमा पर स्थिति को लेकर चीन को खूब खरी खोटी सुनाई. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल ने चीनी राजनय‍िक वांग यी को कहा कि 2020 के बाद से भारत-चीन सीमा के पश्चिमी क्षेत्र में एलएसी, भारत की वास्तविक सीमा पर स्थिति ने रणनीतिक विश्वास और दोनों देशों के बीच संबंधों के सार्वजनिक और राजनीतिक आधार दोनों को कमजोर कर दिया है.

टाइम्‍स ऑफ इंड‍िया में प्रकाश‍ित र‍िपोर्ट के मुताबकि मीट‍िंग में NSA डोभाल ने समस्या को पूरी तरह से हल करने और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बहाल करने के लिए निरंतर प्रयासों के महत्व पर बल द‍िया है क‍ि ताकि द्विपक्षीय संबंधों में सामान्य स्थिति में आने वाली बाधाओं को दूर किया जा सके. उन्‍होंने (भारत) ने चीन के उन दावों के बावजूद ज‍िसमें एलएसी पर स्‍थ‍िति में सुधार होने और सीमा मुद्दे को नियमित द्विपक्षीय आदान-प्रदान की बहाली में बाधा नहीं डालने की बात कही, पर दो टूक कहा क‍ि जब तक बीजिंग पूर्वी लद्दाख (Eastern Ladakh) में सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाता है और मई 2020 में शुरू हुए सैन्य गतिरोध को पूरी तरह से हल नहीं करता है, तब तक संबंध सामान्य नहीं हो सकते हैं.

एनएसए अजीत डोभाल और चीन के शीर्ष राजनयिक वांग यी के बीच बैठक को लेकर चीनी रीडआउट में डोभाल के हवाले से कहा गया है कि दोनों पक्षों की नियति निकटता से जुड़ी हुई है, और रणनीतिक आपसी विश्वास का पुनर्निर्माण करना और सामान्य विकास की तलाश करना आवश्यक है.

एनएसए के हवाले से कहा गया क‍ि भारतीय पक्ष आपसी समझ और आपसी सम्मान की भावना से सीमा की स्थिति का समाधान करने के लिए एक मौलिक रास्ता खोजने, समग्र और दीर्घकालिक स्थिति को देखने, द्विपक्षीय संबंधों के सुधार और विकास को जल्द से जल्द बढ़ावा देने और विश्व शांति एवं समृद्धि बनाए रखने में सकारात्मक योगदान देने के लिए चीनी पक्ष के साथ काम करने को तैयार है.

बताते चलें क‍ि अगले माह शिखर सम्मेलन होने जा रहा है. एनएसए के साथ ‘फ्रेंड्स ऑफ ब्रिक्स’ की बैठक श‍िखर सम्‍मेलन से पहले हुई ज‍िसको काफी अहम माना जा रहा है. शिखर सम्मेलन में राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पीएम नरेंद्र मोदी दोनों के भाग लेने की उम्मीद जताई जा रही है.

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