भारत के 77वें स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र संबोधन में जन औषधि केंद्र को लेकर बड़ा ऐलान किया. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का लक्ष्य है कि अब देशभर में जन औषधि केंद्रों की संख्या 10 हजार से बढ़ाकर 25,000 किया जाए. जेनरिक दवाओं की उपलब्धता बढ़ाने के उद्देश्य को पूरा करने के साथ ही ये लोगों की कमाई का भी अच्छा जरिया बन रहे हैं. बता दें कि देश की जनता को सस्ते दामों पर बीमारी के इलाज के लिए दवा मुहैया कराने में जन औषधि केंद्र महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं और इसे जबरदस्त रिस्पांस मिला है.
पहले केंद्र सरकार की तरफ से मार्च 2024 तक देशभर में 10 हजार जन औषधि केंद्र स्थापित करने का लक्ष्य तय किया गया था, जो समय से पहले ही लगभग पूरा हो गया है. बीते दिनों संसद में अपने भाषण के दौरान केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आंकड़े पेश करते हुए बताया था कि 2014 में देशभर में केवल 80 जन औषधि केंद्र थे. लेकिन मोदी सरकार के बीते 9 साल के कार्यकाल के दौरान जन औषधि केंद्रों की संख्या 9,884 हो गई है.
बीते मंगलवार को लाल किले की प्राचीर से स्वतंत्रता दिवस के मौके पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘अगर किसी को डायबिटीज हो जाता है, तो उसे करीब 3000 रुपये मासिक खर्च करना पड़ता है. बीमारी के इलाज में इस्तेमाल होने वाली जिन दवाओं की कीमत 100 रुपये है, इन जन औषधि केंद्रों पर हम उन्हें महज 10 से 15 रुपये में उपलब्ध करा रहे हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के बाद अब देश की लगभग हर गली में जन औषधि केंद्र खुले हुए नजर आएंगे, क्योंकि सरकार अपना पुराना लक्ष्य तो पहले ही पूरा करने के करीब है और पीएम मोदी ने पहले से डेढ़ गुना ज्यादा केंद्र स्थापित करने का टारगेट तय कर दिया है. बता दें कि लोगों को सस्ती जेनरिक दवाइयां उपलब्ध कराने वाले ये जन औषधि केंद्र दरअसल, एक छोटे मेडिकल स्टोर की तरह होते हैं.