CBI रिमांड को चुनौती देने वाली चिदंबरम की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज; जमानत पर भी सुनवाई


सीबीआई रिमांड को चुनौती देने वाली पी चिदंबरम की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई करेगा. दरअसल, सोमवार को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में बदलाव करने हुए सुनवाई के लिए आज की तारीख तय की थी. इससे पहले सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया था कि फिलहाल पी चिंदबरम को जेल नहीं भेजा जाएगा. कोर्ट ने चिंदबरम को निचली अदालत में अंतरिम ज़मानत दाखिल करने को कहा था. निचली अदालत चिंदबरम की ज़मानत अर्जी पर विचार करेगी. कोर्ट ने कहा था कि अगर चिंदबरम की ज़मानत अर्जी ट्रायल कोर्ट रद्द कर दे तो चिंदबरम की सीबीआई रिमांड को बढ़ाया जाए. सीबीआई कस्टडी भेजे जाने के निचली अदालत के आदेश के खिलाफ दायर अर्जी पर SC ने सीबीआई से जवाब मांगा था.

चिदंबरम पेशी और जमानत पर सुनवाई आज

INX मीडिया हेराफेरी से जुड़े सीबीआई केस में पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम की मंगलवार को रॉउज एवेन्यू कोर्ट में पेशी होगी. मंगलवार को दोपहर बाद सीबीआई चिदंबरम को कोर्ट में पेशी करेगी. दरअसल, चिदंबरम की मंगलवार को एक दिनों की अतिरिक्त सीबीआई रिमांड खत्म हो रही है. इसके अलावा चिदंबरम जमानत याचिका पर भी सुनवाई दोपहर बाद राउज एवेन्यू कोर्ट में होगी.

ईडी केस में 5 सितंबर को आना है फैसला

इससे पहले ईडी केस में चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई थी.सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था. अदालत 5 सितंबर को अपना फैसला सुनाएगी, तब तक चिदंबरम की गिरफ्तारी पर लगी अंतरिम रोक जारी रहेगी. कोर्ट ने ईडी से 3 दिनों में ट्रांसस्क्रिप्ट दायर करने को कहा था. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि अगर चिदंबरम को अग्रिम जमानत सुप्रीम कोर्ट देता है तो उसके विनाशकारी परिणाम होंगे. ऐसा इसलिए क्योंकि इसका सीधा असर विजय माल्या, मेहुल चौकसी, नीरव मोदी, शारदा चिटफंड, टेरर फंडिंग जैसे मामले पर पड़ेगा.सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सबूत दिखाकर बिना गिरफ्तारी पूछताछ की मांग का विरोध करते हुए कहा था कि जांच कैसे हो, एजेंसी ज़िम्मेदारी से इसका फैसला लेती है. जो आरोपी आज़ाद घूम रहा है, उसे सबूत दिखाने का मतलब है बचे हुए सबूत मिटाने का न्योता देना.

तुषार मेहता ने कहा था कि जांच को कैसा बढ़ाया जाए, ये पूरी तरह से एजेंसी का अधिकार है. केस के लिहाज से एजेंसी तय करती है कि किस स्टेज पर किन सबूतों को जाहिर किया जाए और किन को नहीं. अगर गिरफ्तार करने से पहले ही सारे सबूतों, गवाहों को आरोपी के सामने रख दिया जाएगा तो ये तो आरोपी को सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने और मनी ट्रेल को ख़त्म करने का मौक़ा देगा. उन्‍होंने कहा था कि पी चिदंबरम के वकील कपिल सिब्बल का कहना है कि अपराध की गंभीरता ‘सब्जेक्टिव टर्म’ है. PMLA के तहत मामले उनके लिहाज से गंभीर नहीं होंगे, पर हकीकत ये है कि इस देश की अदालतें आर्थिक अपराध को गंभीर मानती रही हैं. दरअसल सिब्बल ने बुधवार को सुनवाई के दौरान कहा था कि 7 साल से कम तक की सज़ा के प्रावधान वाले अपराध को CRPC के मुताबिक कम गंभीर माना जाता है. तुषार मेहता ने कहा था कि इस मामले में अपराध देश की अर्थव्यवस्था के खिलाफ है. ऐसे मामलों में सज़ा का प्रावधान चाहे कुछ भी हो, सुप्रीम कोर्ट ने आर्थिक अपराध को हमेशा गंभीर अपराध माना है.

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