राजस्थान में बीजेपी पांच साल बाद फिर से स्पष्ट बहुमत के साथ सत्ता में लौट रही है. बीजेपी की इस जीत के पीछे पीएम मोदी का चेहरा, कार्यकर्ताओं की अथक मेहनत, राष्ट्रीय नेताओं का राजस्थान पर फोकस और प्रदेश की जनता का बीजेपी पर विश्वास रहा है. लेकिन पर्दे के पीछे रहकर रणनीति तैयार करना हो या फिर कार्यकर्ताओं और प्रदेश के नेताओं का समय समय पर मनोबल बढ़ाना हो बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा इसके लिए हमेशा तैयार रहे.
मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बीजेपी की जीत की चर्चा आज देशभर में हो रही है. बीजेपी की इस जीत को लेकर राजनीतिक विश्लेषक अलग अलग कारण गिना रहे हैं. कोई इसे कांग्रेस की विफलता को कारण बता रहे हैं तो कुछ बीजेपी अन्य नेता भी जीत का श्रेय लेने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन इन तीन महत्वपूर्ण राज्यों में बीजेपी की जीत के पीछे अथक मेहनत और चुनाव जीतने की अहम रणनीति सबसे बड़ी वजह रही है.
समय रहते राजस्थान की कमान अपने हाथ में ले ली
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इन तीन राज्यों को जीतने के लिए मेगा प्लान बनाया था और वे इसे अमली जामा पहनाने में पूरी तरह से सफल रहे. एक वक्त था जब राजस्थान में बीजेपी गुटबाजी के भंवर में फंसी हुई थी. पार्टी के बड़े नेता अलग अलग खेमों में एक दूसरे का खेल बिगाड़ने की कोशिशों में लगे हुए थे. लेकिन राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने समय रहते राजस्थान की कमान अपने हाथ में ले ली. उसके बाद फिर रणनीति के तहत प्रदेश प्रभारी, प्रदेश सह प्रभारी, प्रदेश अध्यक्ष और चुनाव प्रभारी की नियुक्त कर अपने इरादे साफ कर दिए.
प्रदेश बीजेपी को एकजुटता का सख्त संदेश दिया
गुटबाजी में फंसी प्रदेश बीजेपी को एकजुटता का सख्त संदेश देने के साथ ही सामूहिक नेतृत्व में चुनाव में जाने का अहम निर्णय लिया. बिना चेहरे के राजस्थान चुनावों में जाने के निर्णय की कई लोगों ने ओलाचना भी की. लेकिन एक बार जो निर्णय ले लिया गया उसके बाद फिर पार्टी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. जेपी नड्डा ने प्रदेश बीजेपी के नेताओं पर ज्यादा भरोसा करने की बजाय अपने कार्यकर्ताओं पर विश्वास किया और चुनावों से कई महीनों पहले ही राजस्थान के अलग अलग संभागों में जाकर कार्यकर्ताओं की बैठकें ली.
बड़ी-बड़ी बैठकों की बजाय छोटी-छोटी बैठकें लीं
नड्डा ने कार्यकर्ताओं को सकारात्मक सोच, कमल के फूल को चेहरा, मोदी सरकार के काम और बूथ मैनेजमेंट के जरिए जीत का मंत्र दिया. बीजेपी कार्यकर्ताओं की मानें तो राष्ट्रीय अध्यक्ष ने बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं की बैठक लेने की बजाय छोटी छोटी बैठकें ली ताकि सभी कार्यकर्ताओं को उचित समय देने की साथ ही उनमें जोश का संचार भी किया जा सके.
बीजेपी का नजरिया समझाने का भी कोई मौका नहीं छोड़ा
यही नहीं चुनावों में लिए गए अहम निर्णयों में भी जेपी नड्डा का बड़ा रोल रहा. पार्टी ने चुनावों के दौरान सांसदों को चुनावी मैदान में उतारने का अहम निर्णय लिया हो या फिर सर्वे के आधार पर टिकट वितरण का फैसला. टिकट वितरण में सोशल इंजीनियरिंग पर फोकस करने के साथ ही सख्त निर्णय भी लिए गए. चुनावों के दौरान जनता को बीजेपी का नजरिया समझाने का भी कोई मौका नहीं छोड़ा.
पांच दिन में 10 सभाएं कर 14 विधानसभा क्षेत्रों को कवर किया
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने चुनाव के दौरान पांच दिन में 10 सभाएं कर 14 विधानसभा क्षेत्रों को कवर करते हुए 2 रोड़ शो के साथ संगठनात्मक बैठकों पर फोकस किया. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने महुवा, सिकराय, पीपाड़, ओसियां, जैसलमेर, जोधपुर शहर, सरदारपुरा, सूरसागर, राजसमंद, धोद, फतेहपुर, दांतारामगढ और दौसा में सभाएं की. इनमें ज्यादातर सीटों पर बीजेपी का जीत हासिल हुई. अब राजनीतिक विश्लेषक भी जेपी नड्डा की रणनीति के मुरीद हो गए हैं.