रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच बैठक हुई. अब इस बैठक पर संयुक्त राज्य अमेरिका की ओर से प्रतिक्रिया आ गई है. अमेरिका ने बीजिंग पर हमला बोलते हुए कहा कि देश के पास “दोनों तरीके” नहीं हो सकते. बता दें कि यूक्रेन में चल रहे युद्ध और बढ़ते पश्चिमी प्रतिबंधों के बीच रूस सक्रिय रूप से चीन का समर्थन मांग रहा है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार चीन ने एक राजनयिक रुख बनाए रखा है जो रूस का समर्थन करता है. संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रतिबंधों के खिलाफ वकालत करता है और संघर्ष के समाधान को प्रोत्साहित करता है. हालांकि, यह समर्थन पश्चिम के साथ आर्थिक संबंध बनाए रखने की चीन की इच्छा से संतुलित है.
संयुक्त राज्य अमेरिका की यह टिप्पणी गुरुवार (16 मई) को विदेश विभाग के प्रधान उप प्रवक्ता वेदांत पटेल द्वारा आयोजित एक प्रेस वार्ता में आई. उन्होंने इस सवाल का जवाब दिया कि अमेरिका चीन की टिप्पणियों को कैसे देखता है जहां शी जिनपिंग यूक्रेन युद्ध के ‘राजनीतिक समाधान’ पर सहमत हुए थे और रूस-चीन संबंधों को दुनिया के लिए ‘स्थिर’ करने वाला बताया था.
अमेरिका ने चीन पर लगाया यह आरोप
पटेल ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा, ‘चीन यूरोप और अन्य देशों के साथ अच्छे, आगे, मजबूत, गहरे रिश्ते नहीं रखना चाहता और साथ ही लंबे समय में यूरोपीय सुरक्षा के लिए सबसे बड़े खतरे को बढ़ावा देना जारी रख सकता है.’ उन्होंने कहा कि इस पर अमेरिका का रुख जी7, नाटो साझेदारों और यूरोपीय संघ के साझेदारों द्वारा साझा किया गया है.
अमेरिका की चेतावनी के बावजूद चीन कर रहा है अपनी मनमानी
अमेरिका की चेतावनियों के बावजूद यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में चीन द्वारा रूस को हथियारों की कथित आपूर्ति पर बोलते हुए, पटेल ने कहा कि ‘रूस के रक्षा औद्योगिक आधार को ईंधन देना, जैसा कि पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना ने किया है, न केवल यूक्रेनी सुरक्षा को खतरा है, यह यूरोपीय सुरक्षा को भी खतरा है, और बीजिंग ऐसी किसी चीज़ का समर्थन जारी रखते हुए यूरोप के साथ बेहतर संबंध हासिल नहीं कर सकता है.’