पाकिस्तान के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने मंगलवार को घोषणा की कि अपने वह कार्यकाल के दौरान कोई वेतन नहीं लेंगे. उन्होंने कहा कि आर्थिक संकट से जूझ रहे देश को चुनौतीसे सामना करने में मदद करना चाहते हैं. जरदारी ने रविवार को पाकिस्तान के 14वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लिया. पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) ने एक्स पर कहा कि 68 साल के जरदारी ने वित्तीय प्रबंधन को प्रोत्साहित करने और राष्ट्रीय खजाने पर बोझ नहीं डालने के लिए यह कदम उठाया है.
राष्ट्रपति सचिवालय प्रेस विंग ने मंगलवार को एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, ‘राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय खजाने पर बोझ नहीं डालना जरूरी समझा और उन्होंने अपना वेतन छोड़ना पसंद किया.’ मालूम हो कि पाक के पूर्व राष्ट्रपति आरिफ अल्वी को प्रति माह ₹ 8,46,550 मिलते थे. वहीं, जरदारी पाकिस्तान के सबसे अमीर राजनेताओं में से एक हैं. पीपीपी के सह-अध्यक्ष जरदारी ने रविवार को इस्लामाबाद के ऐवान-ए-सद्र में एक समारोह में दूसरे कार्यकाल के लिए पाकिस्तान के राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली.
जरदारी के नक्शेकदम पर चलते हुए, आंतरिक मंत्री मोहसिन नकवी ने भी देश के सामने आने वाली आर्थिक चुनौतियों का हवाला देते हुए पद पर रहते हुए अपना वेतन छोड़ने का फैसला किया. नकवी ने एक्स पर लिखा कि, ‘वह चुनौतीपूर्ण समय में “हर संभव तरीके से” देश की सेवा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.’ कर्ज में डूबा पाकिस्तान आर्थिक दबाव से जूझ रहा है और वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं.
नवनिर्वाचित सरकार को तत्काल अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से नए कर्ज की आवश्यकता होती है, और इस देश के अति-अमीर नेता, गरीब जनता से समर्थन जीतने के लिए ऐसी रणनीति बनाते हैं. पिछले साल फरवरी में, तत्कालीन प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की कैबिनेट ने देश को बाहरी देनदारियों और संभावित डिफ़ॉल्ट से निपटने के लिए अपना वेतन और अन्य सुविधाएं छोड़ दीं थी.