लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दक्षिणी राज्य केरल में भाजपा की चुनावी जीत के अपने सपने को साकार करने के उद्देश्य से दो महीने से भी कम समय में राज्य का तीसरी बार दौरा करने वाले हैं और इसे लेकर पार्टी के भीतर आत्मविश्वास बढ़ गया है. केरल में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को चुनाव जीतने में पूर्व में चुनौतियों का सामना करना पड़ा है.
लगभग एक साल पहले, मोदी ने केरल में सत्ता हासिल करने की अपनी पार्टी की आकांक्षा सामने रखी थी. लेकिन यह घोषणा दो मार्च, 2023 को ईसाई-बहुल राज्यों नगालैंड और मेघालय के चुनावों में भाजपा के उल्लेखनीय प्रदर्शन के बाद की गई जिससे पार्टी के भीतर आत्मविश्वास बढ़ गया.
भाजपा सूत्रों के अनुसार, मोदी एक आधिकारिक कार्यक्रम के लिए मंगलवार को केरल राज्य की राजधानी तिरुवनंतपुरम पहुंचने वाले हैं, जहां वह भाजपा की प्रदेश इकाई द्वारा आयोजित ‘पदयात्रा’ के समापन समारोह में भी भाग लेंगे.
प्रदेश भाजपा जहां प्रधानमंत्री मोदी की केरल के लगातार दौरों से उत्साहित है और पार्टी इस दक्षिणी राज्य में लोकसभा चुनाव में कुछ सीट जीतने की उम्मीद कर रही है और इसके लिए पूरी तरह से मोदी के प्रभाव के भरोसे है. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और कांग्रेस, दोनों का दावा है कि इस दक्षिणी राज्य में कमल नहीं खिलेगा.
लोकसभा चुनाव नजदीक होने के बीच केरल में प्रधानमंत्री के लगातार दौरों से उत्साहित केरल भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता संदीप वाचस्पति ने केंद्रीय नेतृत्व के बढ़ते ध्यान और केरलवासियों में पीएम मोदी की बढ़ती स्वीकार्यता का हवाला देते हुए पार्टी की संभावनाओं पर विश्वास व्यक्त किया.
वाचस्पति ने दावा किया कि पीएम मोदी की अपील धार्मिक और सांप्रदायिक रेखाओं से परे है. उन्होंने पिछली चुनावी असफलताओं से संबंधित चिंताओं को खारिज किया और बाधाओं को दूर करने और केरल में भाजपा के लिए चुनावी सफलता सुनिश्चित करने के लिए मोदी के करिश्मे पर भरोसा जताया.
भाजपा पदाधिकारी ने पीएम मोदी की अपील पर भरोसा जताया और दावा किया कि केरल में अल्पसंख्यक (राज्य की आबादी का एक अहम हिस्सा) मोदी की सार्वभौमिक स्वीकृति और गैर-सांप्रदायिक छवि के कारण उनका समर्थन करेंगे. हालांकि, कांग्रेस और माकपा भाजपा विरोधी अपने रुख पर कायम हैं.
माकपा के वरिष्ठ नेता एम ए बेबी ने भाजपा पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के बाहर के दलों को अपनी ओर लाने के लिए अनुनय और दबाव की रणनीति अपनाने का आरोप लगाया और कहा कि यह केरल में काम नहीं करेगा. उन्होंने दावा किया कि हालांकि इस तरह की रणनीति ने अवसरवादी नीतियों के माध्यम से भाजपा को कुछ लाभ पहुंचाया है, लेकिन इस दृष्टिकोण की उन्होंने निंदा की.
बेबी ने इस कथित राजनीतिक अवसरवाद के उदाहरण के रूप में कांग्रेस के पूर्व नेता और असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा के भाजपा के साथ जाने का जिक्र किया. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस तरह की रणनीति केरल में सफल नहीं होगी, जिसका अर्थ है कि पीएम मोदी को अब भी इस वास्तविकता को समझना बाकी है. इस धारणा को खारिज करते हुए कि पीएम मोदी की व्यक्तिगत छवि केरल में मतदाताओं को प्रभावित करेगी, माकपा पोलित ब्यूरो के सदस्य ने कहा कि भाजपा 2016 में केरल विधानसभा में केवल एक सीट हासिल कर सकी थी.