मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त की नियुक्तियों से जुड़ा महत्वपूर्ण विधेयक लोकसभा से पारित हो गया है. इस विधेयक को मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा शर्तें और पदावधि) विधेयक, 2023 नाम दिया गया है. कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कानून लाया गया है. मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यकाल कार्यालय का) विधेयक, 2023 एक संक्षिप्त बहस के बाद लोकसभा द्वारा पारित किया गया. इसे पिछले हफ्ते राज्यसभा ने पारित कर दिया था.
संसद में प्रमुख विपक्षी राजनीतिक दलों ने विधेयक पर बहस में भाग लिया, क्योंकि उनके 97 सदस्य निलंबित थे. उन्हें शीतकालीन सत्र के शेष भाग के लिए “कदाचार” के लिए निलंबित कर दिया गया था. यह विधेयक नियुक्ति, योग्यता, खोज समिति, चयन समिति, कार्यालय की अवधि, का प्रावधान करता है. विधेयक के मुताबिक, CEC और EC की नियुक्ति 6 साल या अधिकतम 65 वर्ष की आयु तक के लिए होगी. अगर किसी EC को CEC नियुक्त किया गया तो उसका कुल मिलाकर कार्यकाल 6 साल से अधिक नहीं हो सकता. अगर चयन समिति में कोई पद खाली होगा तो भी उसके द्वारा की गई नियुक्ति को अमान्य नहीं ठहराया जा सकेगा. आयुक्तों को केवल संविधान के अनुच्छेद 324 के खंड (5) के तहत ही हटाया जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था आदेश, अब सरकार कानून लाई
मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) की समिति की सलाह पर चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करने का आदेश दिया था. इसका उद्देश्य चुनाव आयोग को राजनीतिक हस्तक्षेप से बचाना था. उस समय कोर्ट ने कहा था कि फैसला तब तक प्रभावी रहेगा, जब तक सरकार कोई कानून नहीं लाती. अब सरकार जो कानून ले आई है, उसमें CJI की जगह कैबिनेट मंत्री को शामिल किया गया है.