इंडियन प्रीमियर लीग के नए सीजन से पहले दुबई में हुए मिनी ऑक्शन में 10 फ्रेंचाइजी टीमों ने मनपसंद खिलाड़ियों पर जमकर बोली लगाई और उनको अपने साथ जोड़ा. कुल 72 खिलाड़ियों पर बोली लगाई जिसमें 30 विदेशी खिलाड़ी शामिल थे. ऑस्ट्रेलिया के मिचेल स्टार्क को सबसे महंगे बिकने वाले खिलाड़ी रहे. कोलकाता ने आईपीएल इतिहास की सबसे ऊंची बोली 24.75 करोड़ के साथ इस तेज गेंदबाज को हासिल किया. हर्षल पटेल सबसे महंगे भारतीय रहे जिसे 11.75 करोड़ देकर पंजाब ने अपने साथ जोड़ा.
क्या खिलाड़ियों को मिलते हैं सारे पैसे
यह सवाल कई लोगों के मन में उठ सकता है कि क्या नीलामी में लगाई गई बोली की पूरी रकम खिलाड़ियों को मिलती है. इसका जवाब है हां. जो भी बोली की रकम होती है वह खिलाड़ी की सालाना रकम होती है, हां इस पर टैक्स नियमों के हिसाब से लगता है. मान लीजिए जैसे चेन्नई ने समीर रिज्वी को 8.4 करोड़ में हासिल किया है तो यह पैसे उनके होंगे जिस पर टैक्स उसके बाद लगाया जाएगा. यह पूरे साल के लिए दी जाने वाली रकम होगी.
विदेशी खिलाड़ियों के मामले में जो भी रकम होती है उसका 20 फीसदी उनके क्रिकेट बोर्ड के खाते में जाता है. जैसे मान लीजिए ऑस्ट्रेलिया के कप्तान पैट कमिंस को 20 करोड़ की रकम मिली तो उसमें से 4 करोड़ क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया को जाएगा.
खिलाड़ियों को पैसे कब मिलते हैं
यह हर एक फ्रेंचाइजी टीम अलग अलग तरह से देती है. कुछ पूरी रकम पहले ही दे देते हैं जबकि कुछ फ्रेंचाईजी 50 फीसदी सीजन से पहले और बाकी की रकम उसके बाद देना पसंद करती है. वहीं कुछ टीमें इसे तीन भाग में भी देती है.
अगर कोई खिलाड़ी चोटिल हुआ तो सैलरी कैसे दी जाएगी
इसको लेकर भी दो कंडीशन होता है. मान लीजिए किसी खिलाड़ी सीजन के दौरान चोट लगी या कोई इससे पहले चोटिल हो जाता है तो दोनों ही परिस्थिति में अलग तरह से सैलरी दी जाती है. अगर कोई खिलाड़ी सीजन से पहले चोटिल हुआ और वह खेलने नहीं आया तो टीम को पैसे चुकाने की जरूरत नहीं. अगर खिलाड़ी मैच के लिए उपलब्ध रहा और एक भी मैच खेलने नहीं मिला तो उसे पूरी सैलरी मिलेगी.