इंडिया गठबंधन का हाल कुछ ऐसा हुआ है कि कारवां बनने से पहले साथी बिछड़ने लगे हैं. जहां मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और सपा आमने सामने रहे, वहीं. यूपी में भी कुछ ऐसी ही तस्वीर बनती दिख रही है. यह दिखाता है कि लोकसभा चुनाव के लिए बने गठबंधन में शामिल दलों के बीच कैसे कांग्रेस तालमेल बनाने में विफल हो रही है. इसका एक और उदाहरण न्यूज एंकरों का बहिष्कार भी है. विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस (इंडिया) की समन्वय समिति ने 13 सितंबर को 14 न्यूज एंकर के बहिष्कार का निर्णय लिया था.
कमलनाथ ने ही नहीं माना फैसला
गठबंधन की मीडिया कमेटी ने इन पत्रकारों के कार्यक्रमों का बहिष्कार करने और उनके द्वारा होस्ट चर्चाओं में अपना प्रतिनिधि नहीं भेजने का फैसला किया, लेकिन, सपा ने अब इसे मानने से इनकार करते हुए बहिष्कार को वापस ले लिया है. सपा ने अपने प्रवक्ताओं को सभी न्यूज चैनलों में अपना पक्ष रखने के निर्देश दिए हैं.
जानकर बताते हैं कि मध्य प्रदेश चुनाव के दौरान सबसे पहले इस लाइन को कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की ओर से तोड़ दिया गया. उन्होंने गठबंधन की ओर से प्रतिबंधित एक एंकर को न सिर्फ साक्षत्कार दिया, बल्कि उनके साथ तस्वीरें भी खिंचवाई जो कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है.
यह बात गठबंधन में शामिल दल सपा को रास नहीं आई. उसने इस पर न सिर्फ निशाना साधा बल्कि सभी ऐसे बैन एंकरों के साथ डिबेट के लिए अपने दरवाजे खोल दिए. सपा ने अपने प्रवक्ताओं को सभी चैनल में अपना पक्ष रखने के निर्देश दिए हैं. मतलब, विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है.
कांग्रेस को तालमेल बिठाने में दिक्कत?
अभी हाल में कांग्रेस की ओर से लोकसभा चुनाव को लेकर पुराने पदाधिकारियों के साथ हुई बैठक में भी ज्यादातर लोग सपा के साथ गठबंधन के पक्षधर नहीं हैं. उन लोगों ने पिछले अनुभव को देखते हुए सपा के साथ समझौता करने से मना किया है. सपा के प्रवक्ता सुनील साजन कहते हैं कि कांग्रेस इंडिया गठबंधन के बने नियम को नहीं मान रही है तो वह सहयोगी दलों से कैसे अपेक्षा रखती है. कांग्रेस की सोच भाजपा से मिलती-जुलती है. छोटे दलों को समेट कर रखने की जिम्मेदारी कांग्रेस की है. सामूहिक फैसले मानने की जिम्मेदारी सभी की है.
कांग्रेस के प्रवक्ता अंशू अवस्थी कहते हैं कि इंडिया गठबंधन के सभी राजनीतिक दल सामूहिक रूप से निर्णय का अनुपालन करेंगे. ऐसे में सपा के छुटभैया नेता व प्रवक्ता के वीडियो बयान जारी करने से लक्ष्य कमजोर होगा. सपा के नेतृत्व को इनके बयानों पर रोक लगानी चाहिए. भाजपा प्रवक्ता समीर सिंह ने कांग्रेस और सपा की रार पर चुटकी ली है. उन्होंने कहा कि यह स्वार्थ के लिए गठबंधन बना है. भ्रष्टाचार बचाने के लिए बना था. यह धरातल पर नहीं आयेगा. राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्र सिंह रावत कहते हैं कि विपक्षी गठबंधन इंडिया में शामिल क्षेत्रीय दल अपने-अपने राज्य में मजबूत हैं. कांग्रेस को तालमेल बिठा पाने में बहुत मुश्किल होगी.