कुछ ही दिनों के अन्दर 3 ऐसी रिपोर्ट आई हैं जो बता रही है कि भारतीय अर्थव्यवस्था का तिरंगा ना केवल दुनिया का सबसे चमकदार परचम बना हुआ है बल्कि इसका भविष्य और भी उज्जवल है. अमेरिकी निवेश फर्म कैपिटल ग्रुप जहाँ अपनी रिपोर्ट में चर्चा कर रहा है कि “क्या भारत इस दशक का उभरता हुआ बाजार होगा?”. वहीं मशहूर ब्रोकरेज कंपनी बर्नस्टीन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि “मोदी के नेतृत्व में भारत ने कई क्षेत्रों में ज़बरदस्त प्रगति देखी है.” जबकि नीति आयोग द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक 2015-16 से लेकर 2019-21 के बीच बहुआयामी गरीबी वाले व्यक्तियों की संख्या 24.85 फीसदी से घटकर 14.96 फीसदी रह गई है. यानी मोदी सरकार के 5 वर्षों के दौरान 13.5 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकलने में सफलता मिली है. 22 जुलाई को रोजगार मेला कार्यक्रम में बोलते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा भी कि “अगले कुछ वर्षों में भारत दुनिया की टॉप-3 इकोनॉमी में आ जाएगा, जिससे हर सेक्टर में रोजगार के अवसर और बढ़ेंगे.”
सबसे पहले ब्रोकरेज कंपनी बर्नस्टीन की रिपोर्ट की बात करें तो 31 पन्नो की इस रिपोर्ट में नरेन्द्र मोदी सरकार के कार्यकाल की समीक्षा करते हुए कहा गया कि “GST जैसे ऐतिहासिक सुधारों और बुनियादी ढांचा क्षेत्र पर ज़बरदस्त व्यय करके भारत आज दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है.”
रिपोर्ट में कहा गया है कि जब नरेन्द्र मोदी सत्ता में आये तब कई संस्थान संकट में फंसे थे और अर्थव्यवस्था डांवाडोल थी, लेकिन सरकार ने बेहतरीन सुधार करके जहाँ महंगाई पर नियंत्रण पाया, वहीं बेहतर नीतियों के साथ मैन्यूफैक्चरिंग के लिए बेहतर माहौल भी बनाया जिससे दुनिया भर से निवेश भारत की ओर आकर्षित हुआ. साथ ही डिजिटलीकरण के मोर्चे पर शानदार काम करके व्यय को भी सरल बनाया गया. बर्नस्टीन की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2014 में जब नरेन्द्र मोदी ने “अच्छे दिन आने वाले हैं” के नारे के साथ जीत हासिल की थी, तबसे विकास उन्मुखी शैली के साथ अर्थव्यवस्था को को आगे बढ़ाने, लालफीताशाही को कम करने, भ्रष्टाचार को समाप्त करने और व्यापार के ढाँचे में सुधार का काम किया है. खुद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि “जिन सरकारी बैंकों की चर्चा हज़ारों करोड़ के नुकसान के लिए होती थी, NPA के लिए होती थी, आज उनकी चर्चा रिकॉर्ड प्रॉफिट के लिए हो रही है.”
सबसे ज्यादा संतुष्टि और प्रसन्नता की बात नीति आयोग की रिपोर्ट्स से निकल कर आई जिसके मुताबिक वित्त वर्ष 2015-16 से लेकर 2019-21 के मोदी सरकार के 5 वर्षों के दौरान 13.5 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकलने में सफलता मिली है. खास बात ये है कि गरीबों की संख्या में सबसे ज्यादा कमी भारत के ग्रामीण इलाकों में आई है, जिसमें उत्तर प्रदेश अव्वल रहा. यूपी के बाद बिहार, मध्य प्रदेश, ओडिशा और राजस्थान का नंबर आता है. नीति आयोग के इस डेटा के मुताबिक पोषण में सुधार, स्कूली वर्ष में इजाफा, स्वच्छता और रसोई गैस की उपलब्धता के चलते गरीबी घटाने में बड़ी सफलता हासिल हुई. रिपोर्ट के मुताबिक प्रधानमंत्री आवास योजना, पीएम जनधन योजना और समग्र शिक्षा के चलते भी देश में गरीबी कम हुई है, वहीं प्रधानमंत्री उज्जवला योजना ने आंचलिक इलाकों में लोगों की जिंदगी बदल दी. 22 जुलाई को एक कार्यक्रम में बोलते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि “जनकल्याण की योजनाओं को हमारे सरकारी कर्मचारी जिस प्रकार सफलतापूर्वक घर-घर पहुंचा रहे हैं, उससे भी गरीबी खत्म करने में काफी मदद मिल रही है.”
दुनिया के सबसे बड़े मनी मैनेजमेंट ग्रुप कैपिटल ग्रुप भी भारत की प्रगति से चमत्कृत है. मोदी सरकार के नेतृत्व में पिछले एक दशक में हुए आर्थिक सामजिक सुधारों की तारीफ करते हुए अपनी हालिया रिपोर्ट में कैपिटल ग्रुप ने कहा है कि “बीते 10 सालों में भारत में राजनीतिक स्थिरता देखी गई है, जिससे आर्थिक विकास को सबसे अधिक बल मिला और सरकार के एजेंडे में भी इसे सर्वोच्च प्राथमिकता मिली. इसी कारण आज भारत अन्य उभरते बाजारों की तुलना में अधिक आकर्षक है.” रिपोर्ट में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में आधार, GST, UPI जैसे कई सुधार कार्यक्रमों की तारीफ की गई है. साथ ही कहा गया है कि “भारत सरकार घरेलू आबादी की क्षमता बढ़ाने के साथ ही निर्यात बाजार में भी बड़ा खिलाड़ी बनने में लगी है. जिस कारण यूनिकॉर्न की संख्या में भारत अब केवल अमेरिका और चीन से ही पीछे है.” ग्रुप की रिपोर्ट में इस बात का ख़ास जिक्र है कि बुनियादी ढांचा मज़बूत करने के लिए पिछले 5 वर्षों में मोदी सरकार ने सड़कों, रेलमार्गों, हवाई अड्डों और बंदरगाहों के निर्माण में अरबों डॉलर खर्च किए हैं.