विकास के महामार्ग – PM मोदी की सोच और गडकरी के जोश का परिणाम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा की केंद्र सरकार की 9 सालों में अनगिनत ऐसी उपलब्धियां हैं, जिसे विश्लेषक लगातार रेखांकित कर रहे, लेकिन मेरा मत है कि हाई-वे के क्षेत्र में भारत ने अभूतपूर्व उपलब्धियां हासिल करते हुए नए प्रतिमान कायम कर दिया हैं. सड़क परिवहन किसी देश के लिए न केवल आर्थिक विकास का आधार है बल्कि सामाजिक विकास और जीवन की बुनियादी चीजों तक पहुंच का भी सबसे सशक्त माध्यम है. राजमार्गो के महत्त्व को जानने के लिए बस एक आँकड़ा देखिये, हर साल लगभग 85 फीसदी यात्रियों का आवागमन और 70 फीसदी माल की ढुलाई सड़क मार्ग से होती है.

उद्योग और उद्यमिता के क्षेत्र में कहा जाता है कि ‘किसी देश की सम्पन्नता देखना हो तो उसकी सड़कें देख लो’, इसे नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने समय रहते ही समझ लिया और इसीलिए भारत ने सड़क नेटवर्क के मामले में आज चीन को पछाड़ते हुए दुनिया में दूसरा स्थान हासिल कर लिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शी सोच एवं केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के अथक परिश्रम और सड़क निर्माण कार्यों पर उनकी सतत निगरानी की बदौलत 9 सालों में भारत का सड़क नेटवर्क 54 हजार किलोमीटर नए राष्ट्रीय राजमार्गों के साथ 59 प्रतिशत बढ़कर दुनिया में अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर पहुंच गया है.

हाई-वे से रेवेन्यू भी मिला

मोदी सरकार ने बीते 9 साल में देश के अंदर सड़कों के क्षेत्र में क्रांति ला दी. राज्यों का एक-दूसरे से संपर्क बढ़ाने, अर्थ व्यवस्था को तेजी देने और नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने सड़कों के लिए कई महत्वाकांक्षी योजनाओं को शुरू किया. इसके बाद 2014-15 में सड़कों और हाइवेज के लिए जो बजट केवल 33,305 करोड़ रुपये था, वही 2023-24 में बढ़ाकर 2.70 लाख करोड़ रुपये से अधिक का कर दिया गया. सिर्फ ये बजट ही ना बढ़ा बल्कि अच्छी रोड देने के बाद उससे टोल द्वारा प्राप्त होने वाले राजस्व में भी बढ़ोत्तरी देखी गयी. टोल से रेवेन्यू अब बढ़कर 41,342 करोड़ रुपए हो गया है, जो 2013-14 में 4,770 करोड़ रुपए था. इस दौरान फास्टैग के आने के बाद सरकार की कमाई दोगुनी हो गई.

सड़को पर ही किसी देश के प्रगति की आधाशिला रखी जाती है. इस तथ्य को मोदी सरकार ने सबसे बेहतर तरीके से समझा और इसके परिणामस्वरुप ही हाइवे निर्माण की गति 200 फीसदी से ज्यादा बढ़ गई. देश में जहाँ 2012 में प्रतिदिन 12 किलोमीटर सड़क का निर्माण हो पाता था, वही 2021 में बढ़कर 37 किलोमीटर पर पहुंच गया. भारत का रोड नेटवर्क जो 2013-14 में 91,287 किलोमीटर का था, वो अब 1,45,240 किलोमीटर का हो गया है. नरेंद्र मोदी एवं नितिन गडकरी ने सरकार बनने के कुछ महीनों के अंदर ही इस बात को समझ लिया कि प्रमुख शहरों के बीच निर्बाध सड़क संपर्क प्रदान करने और यात्रा के समय को कम करने के लिए एक्सप्रेसवे पर काम करना पड़ेगा और इसी के साथ ‘एक्सप्रेसवे विकास’ सरकार की प्राथमिकता में शामिल हो गया. दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे, मुंबई-वडोदरा एक्सप्रेसवे, ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे, स्वर्णिम चतुर्भुज और उत्तर-दक्षिण, पूर्व-पश्चिम कॉरीडोर से देश भर में अभूतपूर्व रूप से कनेक्टिविटी बढ़ गई.
विगत 9 वर्षों में भारतीय जनमानस का सड़कों पर विश्वास बढ़ा है. देश में लोग एक राज्य से सुदूर राज्य तक जाने के लिए अब सड़क मार्ग को प्राथमिकता देने लगे हैं. भारतमाला परियोजना के तहत 1,386 किलोमीटर के देश के सबसे बड़े एक्सप्रेसवे दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे का विकास की खबरें लगातार रोमांचित कर रही है. एक बात विश्वास के साथ कही जा सकती है कि देश में फैल रहे सड़कों के जाल ने न केवल कनेक्टिविटी में सुधार किया है बल्कि सड़क निर्माण और रखरखाव गतिविधियों ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हजारों लोगों को रोजगार भी प्रदान किया है. लिहाजा कहा जा सकता है कि अब भारत चल नहीं, बल्कि दौड़ रहा है.

इसे शेयर करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *