उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में तिलसारी गांव का रहने वाले 25 वर्षीय जगदीश ने तंगहाली और बेरोजगारी से तंग आकर जिंदगी को अलविदा कह दिया। अयोध्या के जश्र की चर्चा के बीच जैसे ही ये खबर मिली तो गांव में मातम छा गया।
जगदीश दिल्ली में प्राइवेट नौकरी करता था। लॉकडाउन के बाद वह बेरोजगार हो गया। बचत के रुपए खत्म हो गए तो वह एक अगस्त को अपने गांव तिलसारी आ गया। यहां आने के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम ने उसे होम क्वारंटीन कर दिया। तब से वह घर पर ही था।
घर वालों का कहना है कि जगदीश दिल्ली से आने के बाद परेशान रहता था। गांव में खास कमाई का साधन नहीं है। परिवार की माली हालत सही नहीं है। वह बहुत मिलनसार था, लेकिन इस बीच गांव में अन्य लोगों से भी नहीं मिल पा रहा था।
वह रात में खाना खाने के बाद कमरे में सो गया। सुबह देर तक कमरा नहीं खुला तो घर वालों ने किसी तरह दरवाजा खोला, अंदर जगदीश फांसी पर लटका था।
दिनों-दिन बढ़ती जा रही युवाओं की आत्महत्या का सरकार के पास कोई हल नहीं है। उत्तराखंड में पिछले तीन महीनों में करीब 11 युवक अपनी जान दे चुके हैं।
अन्य राज्यों का हाल भी यही है। सरकार रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए प्रयास छोड़ लोगों को धर्म का नशा देकर मस्त करने में जुटी है।