लीबिया के सैन्य विश्लेषक और सेवानिवृत्त आर्मी जनरल अहमद अल-हसनवी ने इस बात से इनकार किया कि लीबियन नेशनल आर्मी का सैन्य अभियान विफल हो गया हैऔर कहा कि इसने हजारों आतंकवादियों को मारा है और उनकी लड़ने की क्षमताओं को कमजोर किया है।
उन्होंने कहा, तुर्की के हस्तक्षेप के बाद से, जमीनी स्तर पर चीजें बहुत बदल गई हैं।
अल-हसनवी ने कहा कि जनवरी में आर्मी ने अंतर्राष्ट्रीय दबाव के बाद त्रिपोली में संयुक्त राष्ट्र समर्थित सरकार को अपनी पकड़ बनाए रखने की अनुमति देने के लिए सहमति व्यक्त की थी।
संयुक्त राष्ट्र समर्थित सरकार और तुर्की ने 27 नवंबर, 2019 को सैन्य सहयोग पर दो समझौते किए।
इस सौदे में से एक समुद्री समझौता था जिसने एक ओर तुर्की और दूसरी ओर मिस्र, ग्रीस और साइप्रस के बीच भूमध्यागर क्षेत्र में तेल और प्राकृतिक गैस खोज को लेकर विवाद पैदा कर दिया था।
त्रबेल्सी ने सिन्हुआ को बताया, त्रिपोली में आर्मी के कार्रवाई के परिणामस्वरूप एक साल में 3,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई और 10,000 घायल हो गए और 150,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं।
उन्होंने कहा कि इन खतरनाक संख्याओं के बावजूद, दोनों पक्षों के बीच संघर्ष को रोकने के लिए बातचीत और स्वीकृति होने की कोई संभावना नहीं है।
विशेषज्ञ ने कहा कि अगर युद्ध कुछ और महीनों तक जारी रहा, तो राजधानी से पांच लाख लोग अपने घरों से पलायन कर जाएंगे, जिससे लीबिया में मानवीय तबाही मचने का खतरा है।
2011 में दिवंगत नेता मुअम्मर गद्दाफी के शासन के पतन के बाद से लीबिया हिंसा और राजनीतिक संकट के दौर से गुजर रहा है।