कोरोना संक्रमण के डर से महाराष्ट्र में गांव के भीतर बाहरी लोगों का प्रवेश बंद कर दिया गया है।
कोरोना महामारी के संक्रमण के चलते अब ग्रामीण #भारत भी सतर्कता बरत रहा है।
अमूमन यह नजारा सभी गांव में देखने को मिलरहा है कि, गांव के प्रवेश मार्ग पर अवरोध निर्माण कर तथा चेतावनी संदेश लगाए गए है।
मगर ज्ञात हो की इस प्रकार गांव बंदी करने का कोई आधिकारिक आदेश सरकार की ओर से नहीं अय है। बावजूद इस के अधिकांश गांव गंभीरता पूर्वक यह नियम लागू कर रहे है।
इस का असर उन जरूरी सेवाओं पर भी पड़ रहा है। कुछ स्वास्थ्य सेवकों को भी गांव में प्रवेश से रोक जाने को भी जानकारी है, साथ ही दवाइयां परिवहन कर रहे वाहनों को भी गांव के रास्ते से नहीं जाने दिए जारहा है।
इस रवैया से मरीजों को अस्पताल से लाने ले जाने की सेवा प्रभावित हो सकती है।
ताजा जानकारी के अनुसार तहसील के भगवानपुर ग्राम के एक ड्राइवर को गांव वाले यह कहकर गांव में प्रवेश करने से रोक दिया कि यदि वह अस्पताल की गाड़ी चलाता है तो उसे गांव में नहीं आना चाहिए। शायद उसके आने से गांव में भी इस बीमारी का संक्रमण हो जाएगा।
स्वास्थ्य सेवाओं में अधिकांश निजी वाहन चालक ही सेवा देते हैं जो वाहन इन दिनों स्वस्थ सेवा में लगे हुए हैं वह निजी ट्रांसपोर्टरों के द्वारा अनुबंध के तहत परिवहन सेवा प्रदान की जाती है। ग्रामीण अंचलों से प्रशिक्षित वाहन चालक इन वाहनों को अपनी सेवा देते हैं|
विगत कुछ दिनों से यह देखने में आया है कि कोरोना वायरस और संक्रमण की दहशत के चलते ग्रामीणों बाहरी लोगों के साथ साथ उन लोगों को भी गांव में ना आने की हिदायत दे रहे हैं जो स्वस्थ सेवाओं से जुड़े हुए हैं ऐसे में इन लोगों के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गई है की यह लोग इन वाहनों पर अपनी सेवा कैसे दें।
यदि वह उप जिला अस्पताल में सेवा प्रदान करने हेतु सुरक्षित मानकों का पूरी तरह से पालन करते हैं तो किसी भी प्रकार की कोई समस्या नहीं होनी चाहिए।
ग्रामीणों के इस रवैया से कहीं इन सेवाओं पर विपरीत असर न पड़े।
इस विपदा में यदि वाहन चालक उपलब्ध नहीं होंगे तो मरीजों को स्थानांतरित करने की बड़ी समस्या का सामना करना पड़ेगा।
तहसील मुख्यालय से जिला मुख्यालय तथा अन्य स्थानों पर मरीजों को स्थानांतरित करने के लिए इन्हीं वाहनों का बड़े पैमाने पर उपयोग होता है।
क्योंकि ग्रामीण अंचलों में तहसील मुख्यालय में स्वास्थ्य संबंधी किसी भी तरह का निजी परिवहन उपलब्ध नहीं है।
स्वास्थ्य संबंधी परिवहन केवल इन सरकारी वाहनों पर ही निर्भर है।
प्रशासन को चाहिए कि वह गांव के लोगों को विश्वास में लें तथा भ्रामक एवं गैर जिम्मेदार रवैया छोड़ने का अनुरोध करें तथा इस आपदा में साथ खड़े होने की बात करें जिससे यह समस्या हल हो सकती है।