दिल्ली के मोहल्ला क्लीनिक और तेलंगाना के बस्ती दवाखाना की तर्ज पर मध्यप्रदेश में संजीवनी क्लीनिक की शुरुआत हुई है।
इन क्लीनिकों में मरीजों को मुफ्त जांच और मुफ्त दवाओं की सुविधा तो मिलेगी ही, मरीज की बीमारी से लेकर अन्य ब्यौरे भी दर्ज रहेंगे। राज्य में स्वास्थ्य सेवाएं हमेशा से सरकारों के लिए चुनौती रही है। आमजन को प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाएं आसानी से मिल सकें, इसके लिए वर्तमान सरकार द्वारा दूर-दराज के इलाकों में रहने वालों, भीड़ भरी बस्तियों और झुग्गी बस्तियों तक स्वास्थ्य सेवा पहुंचाने के लिए संजीवनी क्लीनिक शुरू किए जा रहे हैं।
पहले चरण में इंदौर, भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर में शनिवार को इसकी विधिवत शुरुआत हो चुकी है। राज्य के प्रमुख कस्बों और शहरों में कुल 208 संजीवनी क्लीनिक खोलने की योजना है। मार्च, 2020 तक 88 क्लीनिक चालू हो जाएंगे। इसके लिए जिला स्तर पर स्वास्थ्य विभाग, नगर निगम के साथ विश फाउंडेशन एक समझौते पर हस्ताक्षर करेगा, जिसके बाद निगम के सामुदायिक भवनों में क्लीनिक शुरू किए जाएंगे।
बताया गया है कि इन क्लीनिक में चिकित्सक, जांच मशीन और दवाएं सरकारी स्तर पर उपलब्ध कराई जाएंगी, वहीं तकनीकी मदद और प्रशिक्षण विश फाउंडेशन देगा। इसके लिए ऐसा सॉफ्टवेयर विकसित किया गया, जिससे पंजीकरण, परामर्श, स्कैनिंग और रेफरल जैसी प्रक्रियाओं को पूरा करने में काफी मदद मिलेगी।
विश फाउंडेशन आंकड़ों को जमा करेगा, सप्लाई चेन, उपकरण और क्लीनिक में इस्तेमाल आने वाली चीजों की आपूर्ति को बनाए रखेगा। इसके अलावा डॉक्टरों व तकनीशियनों को आईटी से जुड़ी खोजों के बारे में प्रशिक्षण देगा।
विश फाउंडेशन के शहरी स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख करिश्मा श्रीवास्तव ने आईएएनएस को बताया, “संजीवनी क्लीनिक में आने वाले मरीज की यूनिक आईडी होगी, उसी में उसकी बीमारी व इलाज का ब्यौरा दर्ज रहेगा, दोबारा उपचार के लिए मरीज के आने पर यूनिक आईडी के जरिए उसके पूर्व में किए गए इलाज और बीमारी का आसानी से पता चल जाएगा, ऐसा होने पर उसका जल्दी और बीमारी के प्रारंभिक लक्षण के अनुसार इलाज किया जा सकेगा।”
बताया गया है कि क्लीनिक सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक खुलेंगे। इनमें सामान्य ओपीडी सेवाएं, गर्भवती माताओं के लिए प्रसव पूर्व देखभाल, टीकाकरण, संक्रामक और गैर-संक्रामक रोगों (एनसीडी) की स्कैनिंग, वृद्धों से जुड़ी चिकित्सा और बेहतर सुविधाओं के लिए रेफरल सेवाएं मिलेंगी। यहां रक्तचाप, मधुमेह और मुंह-स्तन और गर्भाशय कैंसर के रोगियों की जांच, परीक्षण और पंजीकरण भी किया जाएगा। यहां कुल 68 प्रकार की जांच की व्यवस्था रहेगी और लगभग 120 दवाएं मुफ्त दी जाएंगी।
मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी की देखरेख में चलने वाले इन क्लीनिकों की टीम में चिकित्सा अधिकारी, फार्मासिस्ट, स्टाफ नर्स-एएनएम, लैब तकनीशियन और अन्य सक्षम कर्मचारी शामिल होंगे। प्रशिक्षण और बजट राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा दिया जाएगा। आशा और एएनएम आम लोगों तक सेवाएं पहुंचाने, उन्हें स्वास्थ्य सेवा लेने के लिए क्लीनिक तक आने और समुदाय के भीतर स्वास्थ्य देखभाल से जुड़ा संदेश पहुंचाने में मदद करेंगे।
करिश्मा श्रीवास्तव के मुताबिक, क्लीनिक में आने वाले सभी मरीजों का ब्यौरा होगा, इससे एक तरफ इलाज कराने आने वाले मरीजों की संख्या की जानकारी आसानी से हो सकेगी, वहीं बीमारी के बारे में भी पता चलेगा। इससे सबसे बड़ा लाभ मौसमी संभावित बीमारी की पूर्व तैयारी में मदद मिलेगी। अगर किसी इलाके में डेंगू, स्वाइन फ्लू आदि बीमारी ज्यादा होती है तो उसके लिए बीमारी के पहले से ही तैयारी कर ली जाएगी। यह समाज और सरकार दोनों के लिए हितकर होगा।