
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) मुंबई में अपने विधायकों को होटल में एक साथ रखने की कोशिश में व्यस्त है. वहीं पार्टी सुप्रीमो शरद पवार अपने बागी भतीजे अजित पवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पाले से वापस लाने के लिए अपने शीर्ष सहयोगियों को भेज रहे हैं. यह कवायद हालांकि अब तक नाकाम साबित हुई है. पार्टी के एक नेता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा, “पार्टी अजित पवार के निष्ठावान विधायकों से आशंकित है, जो बहुमत साबित करने के वक्त सदन में पार्टी को धोखा दे सकते हैं.”
राकांपा को अजित पवार की ताकत पता है जिनके पार्टी के अंदर समर्थक हैं. इसके अलावा ‘आधी रात का तख्तापलट’ भी नहीं हो सकता था अगर उनके पास अपने समर्थक विधायकों की सहमति नहीं होती. राकांपा ने अलग-अलग समय में पांच बार विभिन्न नेताओं को दूत के तौर पर भेजा है, जिन्होंने अजित को मनाने के प्रयास किए हैं. सोमवार को पार्टी ने उन्हें मनाने के लिए छगन भुजबल और प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल को भेजा था, मगर अजित पवार ने किसी भी शर्त पर अपना फैसला बदलने से इनकार कर दिया है.
इससे पहले शनिवार को दिलीप वल्से पाटिल और हसन मुशरिफ ने अजीत पवार से मुलाकात की थी. रविवार को भी जयंत पाटिल दो बार अजित पवार से मिलने उनके घर गए. इसके साथ ही पवार परिवार के अन्य सदस्यों ने भी सोशल मीडिया के जरिए अजित पवार को मनाने की कवायद की है. इन नेताओं में शरद पवार के रिश्ते में पौत्र एवं नवनिर्वाचित विधायक रोहित आर. पवार, शरद पवार की बेटी व सांसद सुप्रिया सुले शामिल हैं.
रोहित पवार ने कहा कि इस महत्वपूर्ण समय में परिवार और पार्टी को एकजुट रहना होगा और सभी को शरद पवार के पीछे एकजुट होकर खड़े रहना चाहिए. रविवार को अपनी चुप्पी तोड़ते हुए अजित पवार ने दावा किया कि वह अभी भी राकांपा के साथ हैं और उन्हें 54 विधायकों का समर्थन प्राप्त है. उन्होंने कहा कि शरद पवार उनके नेता बने रहेंगे. शरद पवार ने अपने भतीजे के दावों का खंडन करते हुए कहा कि राकांपा अब महागठबंधन के हिस्से के रूप में शिवसेना और कांग्रेस के साथ गठबंधन में है.