शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे वर्ली से चुनावी मैदान में हैं. जब उनके चुनाव लड़ने का ऐलान भी नहीं हुआ था तब से ही आदित्य के सीएम बनाए जाने की मांग शिवसेना के कुछ कार्यकर्ताओं की तरफ से किया जा रहा था. लेकिन चुनाव से ठीक पहले अब बीजेपी-शिवसेना की साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में उद्धव ठाकरे ने साफ कर दिया है कि आदित्य सीएम पद की रेस में नहीं हैं.
राजनीति में पहला कदम रखना ये नहीं है कि आपको राज्य का सीएम बनना है. अभी उन्होंने राजनीति में सिर्फ एंट्री ली है. ये सिर्फ शुरुआत है.
वर्ली सीट से ही क्यों लड़ रहे चुनाव?
आदित्य ठाकरे मुंबई के वर्ली से विधानसभा चुनाव में उतरेंगे. ठाकरे परिवार की तीसरी पीढ़ी के चिराग आदित्य ठाकरे चुनावी राजनीति में उतरने वाले पहले शख्स होंगे. मुंबई के बांद्रा इलाके में रहने वाले आदित्य बांद्रा से नहीं, वर्ली विधानसभा सीट से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. लेकिन सवाल ये है कि वर्ली ही क्यों?
दरअसल, वर्ली विधानसभा में शिवसेना का काडर सबसे मजबूत समझा जाता है. इस विधानसभा क्षेत्र के अंदर आने वाले सभी 6 पार्षद शिवसेना के हैं. इसलिए आदित्य के लिए यहां से जीतना आसान है. 2019 लोकसभा चुनाव में यहां से शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने कांग्रेस के मिलिंद देवड़ा को 1 लाख से ज्यादा वोटों से हराया था. लेकिन इसमें खास बात ये है कि वर्ली विधानसभा में अरविंद सावंत को 38 हजार की लीड मिली थी.
शिवसेना के सुनील शिंदे फिलहाल वर्ली विधानसभा से मौजूदा विधायक हैं. 2014 के विधानसभा चुनाव में सुनील शिंदे को 60625 वोट मिले थे. उन्होंने NCP के नेता और पूर्व मंत्री सचिन अहीर को 23 हजार से ज्यादा वोटों से मात दी थी. सचिन अहीर कुछ दिनों पहले ही शिवसेना में शामिल हो चुके हैं. इसने वर्ली की लड़ाई आदित्य के लिए और आसान बना दी है.
वर्ली विधानसभा सीट की बात करें तो यहां मराठी समाज के साथ दूसरे समाज के लोग भी बड़ी संख्या में रहते हैं. कई बड़ी कॉरपोरेट कंपनी के दफ्तर भी इस इलाके में आते हैं. आदित्य की छवि जिस तरह की रही है, इलीट क्लास के साथ मराठी लोगों से आदित्य कनेक्ट हो सकते हैं. इसलिए इस विधानसभा सीट से आदित्य को चुनाव लड़ाया जा रहा है.