
जेनेवा में यूनाइटेड नेशंस ह्यूमन राइट्स काउंसिल के रेगुलर सेशन के पहले ही दिन जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठ गया. संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार हाई कमिश्नर मिशेल बेकलेट ने ओपनिंग सेशन में ही कश्मीर में मानवाधिकार हनन का मुद्दा उठा दिया. उनका कहना था कि उनके दफ्तर को लगातार कश्मीर और पाक अधिकृत कश्मीर में मानवाधिकार हालातों के बारे में रिपोर्ट मिल रही हैं. लेकिन बाद में उन्होंने सिर्फ जम्मू-कश्मीर के बारे में ही बात की.
बेकलेट ने कहा
जम्मू-कश्मीर के लोगों के मानवाधिकार पर भारत सरकार ने जो कदम उठाए हैं उससे मैं चिंतित हूं. वहां इंटरनेट कम्यूनिकेशन पर पाबंदी सगा दी गई है. लोगों के शांतिपूर्वक एक जगह जमा होने पर भी रोक है. स्थानीय राजनीतिक नेताओं और कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया गया है.
असम में एनआरसी का मुद्दा भी लिस्ट में शामिल
असम में एनआरसी से 19 लाख लोगों को बाहर कर देने और जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 खत्म करने के बाद भारत का नाम संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार हाई कमिश्नर की सूची में दर्ज हो गया है. यूएनएचआरसी के आला अधिकारियों ने दोनों जगहों के हालात पर गंभीर चिंताई जताई है. उन्होंने भारत और पाकिस्तान दोनों सरकार से मानवाधिकार की रक्षा की अपील की है. हालांकि उन्होंने भारत खास तौर पर जम्मू-कश्मीर की मौजूदा बंदी और कर्फ्यू का सवाल उठाया और कहा कि सरकार यहां के लोगों की बेसिक सुविधाएं बहाल करे.
यूएन ह्यूमन राइट्स काउंसिल के 42 वें सत्र में इस बात की संभावना जताई जा रही थी कश्मीर में आर्टिकल 370 हटाने के बाद के हालात की चर्चा हो सकती है. कुछ देश इस मुद्दे को उठा सकते हैं. इसे देखते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय के सेक्रेट्री विजय ठाकुर सिंह और पाकिस्तान में भारत के हाई कमिश्नर अजय बिसारिया को जेनेवा में तैनात किया गया था ताकि कश्मीर पर भारत का पक्ष रखा जा सके.