हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद अलग-थलग पड़े अशोक तंवर ने टिकट बंटवारे में महत्व न मिलने के बाद दबाव की राजनीति शुरू कर दी है। टिकट की घोषणा के पहले ही राज्य की विभिन्न विधानसभाओं से उनके समर्थकों ने कांग्रेस मुख्यालय 24 अकबर रोड पहुंच कर प्रदर्शन किया।
समर्थकों का कहना है कि पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा उन नेताओं की उपेक्षा कर रहे हैं जो राज्य में बीते पांच सालों से सक्रिय हैं। टिकट उन्हीं नेताओं को दिया जाना है जो पुराने हैं और पिछला चुनाव हार चुके हैं।
कांग्रेस मुख्यालय पर दोपहर करीब सौ से अधिक तंवर समर्थकों ने अपनी आवाज बुलंद कर टिकट पाने की अंतिम कोशिश और दबाव बनाना चाहा। हालांकि इन समर्थकों को न तो कांग्रेस का कोई नेता समझाने पहुंचा और न ही किसी ने कोई आश्वासन दिया।
कई घंटों तक इन कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी कर अपनी आवाज सोनिया गांधी के आवास दस जनपथ तक पहुंचानी चाही जहां उम्मीदवारों की सूची को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
अशोक तंवर ने अंतिम अस्त्र के रूप में अपने समर्थकों को मैदान में उतार दिया। तंवर लगातार अपने समर्थकों के साथ अलग बैठकें कर टिकट दिलाने की कोशिशों में जुटे हैं। कांग्रेस ने तंवर समेत राज्य के सभी दस लोकसभा सीटों पर लड़े उम्मीदवारों से भी नाम मांगे थे।
तंवर चाहते हैं कि उनके लोकसभा क्षेत्र के अलावा राज्य की कुछ अन्य विधानसभा सीटों पर भी उनके समर्थकों को उतारा जाए। बीते पांच सालों में तंवर और हुड्डा परिवार के बीच जमकर खींचतान रही।
चुनाव के ठीक पहले हुड्डा तंवर को हटवाने में कामयाब रहे और अब चूंकि हुड्डा चुनाव संचालन समिति के चेयरमैन हैं लिहाजा प्रदेश अध्यक्ष कुमारी शैलजा के साथ मिलकर उम्मीदवारों को अंतिम रूप दिया गया है।
तंवर को इस बात का आभास हो गया है कि उनकी ओर से सुझाए गए नामों को प्राथमिकता नहीं मिली है और पार्टी नेतृत्व के रुख से भी उन्हें निराश होना पड़ा है। लिहाजा दबाव की आखिरी कोशिश कर समर्थकों को संतुष्ट करना चाहते हैं।