
साल 2014 के बाद केंद्र और राज्यों में बीजेपी की सरकारें बनने के बाद कांग्रेस के नेताओं में इस्तीफे और पार्टी छोड़ने का सिलसिला शुरू हो गया. ये सिलसिला अभी भी थमा नहीं है महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले भी कई नेताओं ने पार्टी छोड़ी है. इन नेताओं पर कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पहली बार चुप्पी तोड़ी. सोनिया गांधी ने कांग्रेस छोड़कर दूसरे दलों में जा रहे नेताओं को मौकापरस्त करार दिया है.
कांग्रेस के महासचिवों , राज्यों के अध्यक्षों और विधानसभा नेताओं की मीटिंग में सोनिया ने कहा कि पार्टी को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. इसके बाद ये साफ हो जाएगा कि कौन पार्टी की विचारधारा के प्रति समर्पित है और किसने पार्टी की तरफ खुद के फायदे के लिए देखा.
‘‘हमारा संकल्प और पार्टी की तरफ फिर लौटने की ये एक परीक्षा है. हम अपने आत्मविश्वास और नैतिकता को ठेस नहीं पहुंचने दे सकते. यही समय है ये जानने का कि कौन कांग्रेस के प्रति समर्पित है और राष्ट्र को मजबूत करना चाहता है. बीते कुछ दिनों में हमारे कुछ साथियों ने पार्टी छोड़ी है. उनके लिए मैं बस इतना कहना चाहती हूं कि उन लोगों ने अपना मौकापरस्त चेहरा दिखाया है.’’
कई राज्यों में नेताओं ने छोड़ी पार्टी
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव है. मंगलवार को उर्मिला मातोंडकर और कृपाशंकर सिंह ने कांग्रेस छोड़ दी. इससे पहले भी महाराष्ट्र में कांग्रेस के बड़े नेता राधाकृष्ण विखे पाटिल और उनके बेटे हर्षवर्धन पाटिल ने बीजेपी का दामन थामा था. इसके अलावा कांग्रेस को असम, गोवा और कर्नाटक में भी ऐसा ही नुकसान उठाना पड़ा.
इसी साल जुलाई में कांग्रेस और जेडीएस के कुछ विधायकों ने कर्नाटक में सरकार गिरवा दी. यहां तक की आर्टिकल 370 के मुद्दे पर कांग्रेस के स्टैंड से अलग जाकर राज्यसभा में कांग्रेस के चीफ व्हिप भुबनेश्वर कलिता ने बीजेपी ज्वॉइन कर ली थी. पार्टी के सीनियर नेता और कांग्रेस के महासचिव टॉम वडक्कन ने भी पार्टी छोड़ी थी.