
केंद्र सरकार के विनिवेश विभाग को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2020-21 की पहली छमाही में सरकारी तेल वितरण कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) में सरकारी हिस्सेदारी की बिक्री हो जाएगी। इस संबंध में विनिवेश विभाग ने प्रक्रिया शुरू कर दी है ताकि संभावित बोलीदाताओं को इस संबंध में पर्याप्त समय मिल सके।
मंत्री समूह की मंजूरी का इंतजार
विनिवेश विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बीपीसीएल में हिस्सेदारी की बिक्री के लिए अब कोई बड़ी बाधा नहीं है। बीपीसीएल की बिक्री के संबंध में प्रारंभिक सूचना दस्तावेज और एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट तैयार है। इन दोनों दस्तावेजों को मंत्री समूह की मंजूरी का इंतजार है। इस मंत्री समूह में वित्त मंत्री, परिवहन मंत्री और तेल मंत्री शामिल हैं। अभी तक कैबिनेट ने बीपीसीएल के विनिवेश से असम की नुमालीगढ़ रिफाइनरी को बाहर रखा है। एक सूत्र का कहना है कि बीपीसीएल के अन्य जॉइंट वेंचर और सब्सिडियरी इस विनिवेश का हिस्सा हैं। यदि अन्य जॉइंट वेंचर या सब्सिडियरी को विनिवेश प्रक्रिया से अलग रखना है तो तेल मंत्रालय को हिस्सेदारी की प्रक्रिया से पहले इस पर कैबिनेट की मंजूरी लेनी होगी।
बीपीसीएल में 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचना चाहती है सरकार
केंद्र सरकार बीपीसीएल में से अपनी 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचना चाहती है। बीपीसीएल में सरकार की 53.29 फीसदी की हिस्सेदारी है। बीपीसीएल की देश के रिफाइनिंग बाजार में 14 फीसदी हिस्सेदारी है। सूत्रों का कहना है कि बीपीसीएल की बिक्री प्रक्रिया दो भागों में होगी। पहले भाग में प्रस्ताव के लिए अनुरोध (आरएफपी) होगा, जबकि दूसरे भाग में सफल बोलीदाताओं की निविदाएं शामिल की जाएंगी।
सरकार को 54,000 करोड़ रुपए मिलने की उम्मीद
बीपीसीएल का मार्केट कैपिटलाइजेशन इस समय 1.03 लाख करोड़ रुपए के करीब है। इस प्राइस के आधार पर सरकार की हिस्सेदारी 54 हजार करोड़ रुपए के करीब है। यानी बीपीसीएल में हिस्सेदारी की बिक्री से सरकार को 54 हजार करोड़ रुपए मिलने की उम्मीद है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में पेश किए गए बजट में वित्त वर्ष 2020-21 के लिए विनिवेश का लक्ष्य 2.1 लाख करोड़ रुपए का रखा है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए बीपीसीएल का प्राइवेटाइजेशन बेहद जरूरी है।