
सुप्रीम कोर्ट द्वारा गुरुवार को सबरीमाला मंदिर और अन्य धार्मिक स्थानों पर महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे को सात सदस्यीय पीठ के पास भेजने के आदेश पर केरल में कई लोगों ने खुशी जताई है। हालांकि 28 सितंबर, 2018 को दिए गए निर्णय पर रोक नहीं लगने से निराशा जरूर मिली है, जिसमें 10 से 50 साल आयुवर्ग के बीच की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश पर लगा प्रतिबंध हटा दिया गया था।
इस आदेश के अनुसार, इस मुद्दे पर बड़ी पीठ का आदेश आने तक किसी भी आयुवर्ग की महिला मंदिर में प्रवेश कर सकती है।
इसका मतलब, राज्य में पिनरायी विजयन की अगुआई वाली सरकार परेशानी में पड़ने वाली है, क्योंकि कई महिला संगठनों ने घोषणा की है कि रविवार को सुबह पांच बजे द्विमासिक त्योहार शुरू होने पर वे मंदिर में पूजा करेंगी।
कार्यकर्ता तृप्ति देसाई ने आदेश पर कहा कि चूंकि पिछले आदेश पर कोई रोक नहीं है, इसलिए वह जल्द ही सबरीमला मंदिर पहुंचेंगी।
पिछले सत्र में उन्होंने अपने समर्थकों के साथ मंदिर जाने का प्रयास किया था, जिसका संघ परिवार के कार्यकर्ताओं के कड़े विरोध के बाद मंदिर जाने से रोक दिया गया था।
इस आदेश पर विपक्ष के नेता रमेश चेन्निथला ने कहा कि यह वाम सरकार को झटका है, क्योंकि समीक्षा होने वाली है।
चेन्निथला ने कहा, “जहां इस फैसले से लोगों में यह उम्मीद जगी है कि नई पीठ धार्मिक विश्वास के पक्ष में निर्णय लेगी, वहीं केरल सरकार के लिए यह झटका है।”
सबरीमला मंदिर के तंत्री कांतेरारू राजीवन ने उम्मीद और खुशी जताई कि नए निर्देश से अय्यप्पा के भक्तों को ताकत मिलेगी।
लेकिन सबरीमाला में तांत्रिक परिवार से आने वाले और भगवान अय्यप्पा के भक्त राहुल ईश्वरन ने कहा कि ‘यह हम सबके लिए आंशिक जीत है।’
सबरीमला मंदिर से भावनात्मक संबंध रखने वाले पंडलम रॉयल परिवार ने फैसले पर खुशी जताई।
भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कुम्मानेम राजशेखरन ने कहा कि यह फैसला एक सकारात्मक कदम है।
गुरुवार को ही सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर न्यायमूर्ति आर.एफ. नरीमन और डी.वाई. चंद्रचूड़ ने असहमति जताई, वहीं मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर इस मामले को बड़ी पीठ के पास भेजने के पक्ष में थे।