तमिलनाडु से तेलंगाना तक जब भी ED या CBI का एक्शन हुआ तो विपक्ष ने यही कहा कि केंद्र इन जांच एजेंसियों का इस्तेमाल बदले की राजनीति के लिए कर रहा है. लेकिन जब ऐन महाराष्ट्र चुनाव के पहले शरद पवार के खिलाफ कार्रवाई हुई तो उन्होंने इसका उलटा किया. MSCB घोटाले की FIR में नाम आने के 4 दिनों बाद ही आलम ये है कि ED बैकफुट पर नजर आ रहा है. अपने तो छोड़िए, पवार को विरोधियों का भी साथ मिलता नजर आ रहा है. पवार ने पासा कैसे पलटा, ये राजनीति के नौसिखियों के लिए सबक हो सकता है.
पवार के ‘पंजे’ में ED?
इस मराठा क्षत्रप की सियासी समझ का ही तकाजा है कि FIR में नाम आने के अगले ही दिन बाकायदा उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि वो बिना समन ED के सामने हाजिर होंगे और ये भी कि अगर वो जेल गए तो अच्छा अनुभव होगा. 27 सितंबर को जिस दिन शरद पवार को ED के दफ्तर जाना था, उस दिन नौबत ये आ गई कि ED को उन्हें ई-मेल कर कहना पड़ा कि आपको आने की जरूरत नहीं.
मुंबई पुलिस कमिश्नर की तरफ से शरद पवार को अपील की गई उनके ED दफ्तर जाने से कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती है, लिहाजा वो वहां न जाएं…आखिर शरद पवार ने ऐलान किया कि वो कानून व्यवस्था की नजाकत देखते हुए ED दफ्तर नहीं जाएंगे. कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि शरद पवार ने ED से लेकर मुंबई पुलिस तक को बैकफुट पर ला दिया है.