नई दिल्ली, – भारत-चीन के बीच चल रही तनातनी के बीच कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी शुक्रवार को पहली बार रक्षा संबंधी स्थायी समिति की बैठक में शामिल हुए।
राहुल गांधी चीन पर सरकार की नीति के मुखर आलोचक रहे हैं। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा बैठकों में शामिल नहीं होने आलोचना किए जाने के बाद, यह कांग्रेस नेता की पहली उपस्थिति थी। उन्हें जब से समिति में नामित किया गया है, उसके बाद वह पहली बार इसमें शामिल हुए हैं।
राहुल ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सरकार, चीन को हमारी जमीन से बाहर निकालने की जिम्मेदारी लेने से बच रही है।
केंद्र सरकार के खिलाफ पिछले कुछ दिनों से हमलावर रुख अपना रहे राहुल गांधी ने एक ट्वीट में कहा, चीन के साथ बातचीत केवल मार्च 2020 की यथास्थिति बहाल करने के बारे में होनी चाहिए।
प्रधानमंत्री और भारत सरकार ने चीन को हमारी जमीन से बाहर निकालने की जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया है। इसके अलावा अन्य बात बेकार है।
वायनाड से सांसद राहुल ने सवाल किया है कि चीन ने हमारी जमीन पर कब्जा कर लिया है और सरकार इसे वापस हासिल करने के लिए क्या कर रही है। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा, चीनियों ने हमारी जमीन ले ली है। भारत सरकार इसे वापस लेने के लिए कब योजना बनाएगी? या इसे भी दैवीय घटना (ऐक्ट ऑफ गॉड) बताकर छोड़ा जा रहा है।
पैनल की बैठकों में शामिल नहीं होने के लिए भाजपा ने राहुल गांधी की आलोचना की थी।
इस बीच, भारत और चीन के सैन्य प्रतिनिधियों ने शुक्रवार को सीमा पर तनाव को कम करने के लिए बैठक की, जहां दोनों देशों की सेनाएं केवल एक मीटर की दूरी पर हैं।
सैन्य प्रतिनिधि वार्ता सात सितंबर से लगातार हो रही है, जब चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने पूर्वी लद्दाख में एलएसी के पास भारतीय क्षेत्रों पर कब्जा करने के लिए एक भड़काऊ कदम उठाया था। हालांकि भारतीय सेना के वीर जवानों ने चीन के विस्तारवादी मंसूबों पर पानी फेर दिया था।