भारत और जर्मनी के बीच हालिया बातचीत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य जितना चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है, उतनी ही अहमियत साझेदारी और भरोसे की बढ़ रही है। नई दिल्ली में विदेश मंत्री एस. जयशंकर और जर्मन विदेश मंत्री योहान वेडेफुल की मुलाक़ात केवल एक औपचारिक राजनयिक बैठक नहीं थी, बल्कि यह भारत की बदलती प्राथमिकताओं और जर्मनी की भूमिका को लेकर एक स्पष्ट संदेश भी थी।
जयशंकर ने साफ शब्दों में कहा कि भारत चाहता है कि यूरोपीय संघ के साथ मुक्त व्यापार समझौते की बातचीत अब निर्णायक मोड़ पर पहुँचे। उनके शब्दों में, “आज की अस्थिर वैश्विक अर्थव्यवस्था और भू-राजनीति में भारत–ईयू मुक्त व्यापार समझौता न सिर्फ़ दोनों पक्षों के लिए लाभकारी होगा, बल्कि पूरे विश्व अर्थव्यवस्था को स्थिरता देने में मदद करेगा।” उन्होंने उम्मीद जताई कि जर्मनी यूरोपीय संघ के भीतर अपनी निर्णायक स्थिति का इस्तेमाल भारत के पक्ष में करेगा और इस समझौते को जल्द से जल्द वास्तविकता में बदलेगा।
वेडेफुल ने भी उतनी ही स्पष्टता से कहा कि अगर दुनिया के कुछ हिस्से व्यापार को रोकने और दीवारें खड़ी करने की कोशिश कर रहे हैं, तो जर्मनी और भारत जैसे देशों को इसके जवाब में बाधाएँ कम करनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि “जर्मनी भारत के लिए यूरोप का चेहरा है, और भारत हमारे लिए एशिया का चेहरा।” यह बयान इस रिश्ते की गहराई और संभावनाओं को दर्शाता है।
इस पूरी बातचीत पर अमेरिका की नीति का साया भी मंडराता रहा। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारतीय निर्यात पर शुल्क बढ़ाकर उसे पचास प्रतिशत तक पहुँचा दिया है। अमेरिकी प्रशासन का तर्क है कि भारत रूस से सस्ते तेल की खरीद कर रहा है और यह अप्रत्यक्ष रूप से यूक्रेन युद्ध को सहारा दे रहा है। लेकिन भारत का सवाल भी वाजिब है कि जब पश्चिमी देश खुद रूस से कारोबार कर रहे हैं तो केवल भारत पर उंगली क्यों उठाई जा रही है। जयशंकर ने इसे पश्चिमी दुनिया का “दोहरा मापदंड” बताया और कहा कि भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा को लेकर किसी के दबाव में नहीं आएगा।
इस बीच, भारत और जर्मनी ने अपने सहयोग को केवल व्यापार तक सीमित नहीं रखा। दोनों नेताओं ने रक्षा और सुरक्षा साझेदारी पर भी चर्चा की। जयशंकर ने भरोसा दिलाया कि भारत रक्षा क्षेत्र में जर्मन कंपनियों की भागीदारी को और आसान बनाएगा और निवेशकों की चिंताओं का समाधान करेगा। उन्होंने जर्मन कंपनियों को अर्धचालक (सेमीकंडक्टर) निर्माण और ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर जैसे क्षेत्रों में निवेश करने के लिए आमंत्रित किया।
शिक्षा और मानव संसाधन पर भी बातचीत उतनी ही गहरी रही। वेडेफुल ने बेंगलुरु में यह कहते हुए भारतीय युवाओं के लिए नए अवसरों का द्वार खोला कि “जर्मनी को अभी तुरंत ही बड़ी संख्या में कुशल पेशेवरों की ज़रूरत है। पिछले साल हमारे कांसुलेट ने केवल बेंगलुरु से ही 36,000 लंबे समय के वीज़े भारतीयों को जारी किए।” उन्होंने यह भी कहा कि अब जर्मनी में भारतीय स्कूलों की संख्या बढ़ाई जाएगी और अगले कुछ वर्षों में इसे हज़ार तक ले जाया जाएगा। यह भारत और जर्मनी दोनों के लिए लाभकारी होगा—भारत के युवाओं को नए अवसर मिलेंगे और जर्मनी को अपने उद्योगों और सेवाओं के लिए ज़रूरी कार्यबल।
लेकिन यह पूरी बातचीत यूक्रेन युद्ध के मुद्दे को छुए बिना पूरी नहीं हो सकती थी। वेडेफुल ने कहा कि “भारत की रूस से नज़दीकी हमें मालूम है। हम चाहते हैं कि भारत इसका इस्तेमाल शांति लाने के लिए करे। हमारा एकमात्र आग्रह है कि हथियार खामोश हों।” उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि भारत और जर्मनी हर दृष्टिकोण पर एकमत नहीं हैं, लेकिन उन्होंने उम्मीद जताई कि संवाद और कूटनीति के ज़रिए समाधान निकलेगा।
भारत ने अपने रुख़ को दोहराया कि वह किसी खेमे की राजनीति नहीं करेगा। रूस के तेल पर निर्भरता को उसने अपनी आर्थिक मजबूरी और रणनीतिक स्वायत्तता का हिस्सा बताया। जयशंकर ने यह संकेत दिया कि भारत अपनी नीतियों को लेकर स्वतंत्र रहेगा और केवल राष्ट्रीय हितों के आधार पर निर्णय लेगा।
इस मुलाक़ात ने भारत की कूटनीति की जटिलता को और भी उजागर किया है। एक ओर भारत चाहता है कि जर्मनी उसके लिए यूरोप का दरवाज़ा खोले और यूरोपीय संघ के साथ समझौते की राह आसान करे। दूसरी ओर अमेरिका है, जो अपने व्यापारिक दबाव से भारत को सीमित करने की कोशिश कर रहा है। और तीसरी ओर रूस है, जिसके साथ भारत का ऊर्जा और सामरिक सहयोग गहराता जा रहा है।
स्पष्ट है कि भारत को इन तीनों मोर्चों पर संतुलन साधना होगा। यही संतुलन उसकी शक्ति है और यही चुनौती भी। अगर भारत इस जटिल परिदृश्य को सही ढंग से संभालता है तो यह वैश्विक अस्थिरता उसके लिए खतरा नहीं बल्कि अवसर बन सकती है। भारत आज अपनी रणनीतिक स्वायत्तता को बनाए रखते हुए नए गठबंधनों की संभावना तलाश रहा है। यही उसकी असली ताक़त है और यही उसकी भावी दिशा।
– डॉ. शाहिद सिद्दीकी | X (Twitter) @shahidsiddiqui