येदियुरप्पा : अभी नही तो कभी नहीं


कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में बी. एस. येदियुरप्पा की चौथी बार वापसी का मामला अभी नहीं तो कभी नहीं का है क्योंकि परेशानी के वक्त मुख्यमंत्री पद के लिए उनकी उम्र भी आड़े आ रही है।

कभी भी हार न मानने वाले इस दिग्गज की उम्र 76 साल है और जब से भाजपा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह का वर्चस्व कायम हुआ है पार्टी ने 75 साल से अधिक उम्र वाले अपने सभी नेताओं को कार्यकारी पद पर आसीन होने पर रोक लगा दी है।

पार्टी के एक पदाधिकारी ने आईएएनएस को बताया कि 12 वर्षो के दौरान येदियुरप्पा का एकमात्र योगदान इस दक्षिणी राज्य में भारतीय जनता पार्टी का विकास है जिसके कारण चौथी बार वह सत्ता में आई है, और पद त्याग करने के 14 महीने के भीतर फिर से मुख्यमंत्री बनने के लिए अपवाद के रूप में उन्हें उम्र की समय सीमा में छूट दी गई है। इससे पहले पार्टी 225 सदस्यों वाली विधानसभा में साधारण बहुमत के लिए आवश्यक 113 की संख्या नहीं जुटा पाई और 9 सदस्यों की कमी रह गई थी।

वर्ष 2018 के विधानसभा के चुनाव में मिले विखंडित जनादेश के कारण त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति पैदा हो गई। किसी भी पार्टी को सदन में साधारण बहुमत के लिए 113 सीटें पा्रप्त नहीं हुई। भाजपा को सबसे अधिक 104 , कांग्रेस को 80 और जनता दल – सेकुलर (जेडी-एस) को 37 सीेटों पर जीत हासिल हुई।

विखंडित जनादेश के बावजूद भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में चुनाव में उभरकर आई थी इसलिए निष्पक्षता के लिए, राज्यपाल वजुभाई वाला ने येदियुरप्पा को 17 मई, 2018 को सरकार बनाने का अवसर दिया और उनसे 15 दिनों के भीतर सदन में बहुमत हासिल करने को कहा।

लेकिन येदियुरप्पा को 24 घंटे के भीतर विधानसभा में बहुमत साबित करने के सर्वोच्च न्यायालय के मध्यरात्रि को दिए एक आदेश के कारण तीसरी बार मुख्यमंत्री के पद पर आसीन होने के तीन दिनों के बाद ही 19 मई, 2018 को विधानसभा में आवश्यक बहुमत के अभाव में अपमानजनक स्थिति से बचने के लिए इस्तीफा देने पर बाध्य होना पड़ा।

यद्यपि अंकों की दृष्टिकोण से मौजूदा हालात भी बहुत अच्छे नहीं हैं लेकिन कांग्रेस और जेडीएस के दर्जन भर से अधिक बागी विधायकों के इस्तीफा देने जिससे यह तय हो गया है कि वे सोमवार को सदन में उपस्थित नहीं रहेंगे, के कारण येदियुरप्प 29 जुलाई को बहुमत साबित करने के प्रति बहुत उत्साहित हैं।

गौरतलब है कि दिग्गज येदियुरप्पा शिकारीपुरा विधानसभा से आठवीं बार जीतकर विधान सभा में आए हैं। वह स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद राज्य के सामाजिक कल्याण विभाग में क्लर्क के पद पर नौकरी शुरू की लेकिन वे जल्दी ही नौकरी छोड़कर शिवमोगा में हार्डवेयर बिक्री का एक छोटा सा बिजनेस शुरू किया।

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