मध्य प्रदेश का व्यस्त विधानसभा चुनाव (MP Assembly Elections) अभियान अंततः 17 नवंबर को होने वाले मतदान से पहले समाप्त हो गया है, लेकिन इसमें ड्रामा और तीखे आदान-प्रदान देखने को मिले हैं. ‘मूर्खों के सरदार, कंस मामा, धृतराष्ट्र, पांडव और कौरव, चलो चलो, विश्वासघात, और मेरा क्या कसूर’ जैसे तंज देखने को मिले जबकि भाजपा (BJP) की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) से लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) सक्रिय थे तो दूसरी तरफ कांग्रेस नेता कमल नाथ और प्रियंका गांधी ने जमकर प्रचार किया. दोनों खेमों के शीर्ष नेताओं के पास कहने के लिए बहुत कुछ था और उन्होंने अपने विरोधियों पर जमकर निशाना साधा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास वस्तुतः आखिरी शब्द थे जब उन्होंने मंगलवार को राहुल गांधी का बिना नाम लिए, उनके इस बयान के लिए ‘मूर्खों के सरदार’ कहा कि भारत में सभी मोबाइल फोन चीन में बने हैं. इधर, कुछ लोगों का कहना है कि पिछले हफ्ते भारतीय जनता पार्टी (BJP) चुनाव प्रचार में हावी रही और उसके शीर्ष नेताओं जैसे पीएम मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी प्रमुख जेपी नड्डा और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कई रैलियां और रोड शो किए. दूसरी तरफ कांग्रेस की ओर से गांधी परिवर के भाई-बहन भी मैदान में थे और मुख्य रूप से प्रियंका गांधी ने ही सुर्खियां बटोरीं. एक रैली में, उन्होंने सीएम शिवराज सिंह चौहान पर कटाक्ष करते हुए कहा कि रिश्ते निभाने से मामा बनते हैं, वरना तो कंस भी मामा थे. वह महाभारत की कहानी को उजागर कर रही थीं जहां भगवान श्री कृष्ण ने अपने मामा कंस का वध कर दिया था.
‘कांग्रेस पांडवों से लड़ रही’, प्रचार के दौरान बोले मल्लिकार्जुन खड़गे
महाकाव्य महाभारत के अधिक संदर्भ थे क्योंकि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मध्य प्रदेश में चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि कांग्रेस पार्टी ‘ पीएम मोदी, सीएम चौहान, ईडी, सीबीआई और आईटी’ ऐसे पांच पांडवों से लड़ रही है. इस पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि कांग्रेस ने स्वीकार कर लिया है कि वे कौरव हैं और इसलिए लड़ाई सही और गलत के बीच थी. प्रियंका गांधी ने मुझे कंस मामा कहा है. मैं प्रियंका को बताना चाहता हूं कि वह भाई-बहन के रिश्ते को नहीं समझ पाएंगी.
ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमल नाथ के बीच की कड़वाहट
2020 में पार्टी से अलग होने के बाद से ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमल नाथ के बीच की कड़वाहट प्रचार अभियान में भी दिखाई दी. सिंधिया अक्सर अपनी रैलियों में इशारे कर बताते थे कि कैसे कमल नाथ हमेशा उन्हें और अन्य कांग्रेस विधायकों को ‘चलो चलो’ कहते थे. कमलनाथ कहते थे कि उनके पास सिंधिया के लिए समय नहीं है. कमलनाथ सरकार को उखाड़ फेंकने और भाजपा के साथ हाथ मिलाने के अपने फैसले को सही ठहराते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि आखिरकार, जनता ने कमल नाथ से ‘चलो चलो’ कहा और उन्हें सीएम के रूप में जाना पड़ा.’ कमल नाथ ने इस पर काव्यात्मक अंदाज में प्रतिक्रिया व्यक्त की जैसा कि उन्होंने एक रैली में कहा था कि ‘मेरी क्या गलती थी कि मेरी सरकार गिरा दी गई.
प्रचार के आखिरी दिन प्रियंका गांधी ने पहली बार ज्योतिरादित्य सिंधिया पर निशाना साधा. उन्होंने उन पर विश्वासघात का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने अपने परिवार की परंपरा का पालन किया है. क्या इस तरह के कटाक्षों और आक्षेपों का 17 नवंबर को मतदाताओं पर प्रभाव पड़ेगा? ‘एमपी गजब है, सबसे अलग है’ के नाम से मशहूर राज्य में 3 दिसंबर को नतीजे वाले दिन हमें पता चल जाएगा.