मप्र : लोधी की विधायकी पर संशय बरकरार, भाजपा ने उठाए सवाल


मध्य प्रदेश के भाजपा नेता प्रहलाद लोधी की विधायकी पर संशय बरकरार है, क्योंकि भोपाल की विशेष अदालत से सुनाई गई सजा को उच्च न्यायालय से स्थगन मिल गया है। लेकिन विधानसभा सचिवालय से उनकी सदस्यता बहाल करने की अधिसूचना जारी नहीं हुई है। भाजपा लोधी की बहाली की अधिसूचना जारी न किए जाने पर सवाल उठा रही है।

पन्ना जिले की पवई विधानसभा सीट से निर्वाचित प्रहलाद लोधी को भोपाल की विशेष अदालत के न्यायाधीश सुरेंद्र सिंह ने तहसीलदार से मारपीट के मामले में दो साल कारावास की सजा सुनाई थी। इस सजा के ऐलान के बाद विधानसभा सचिवालय ने लोधी की सदस्यता खत्म किए जाने की अधिसूचना जारी की। बाद में लोधी की सजा पर जबलपुर उच्च न्यायालय से स्थगन मिल गया।

भाजपा लगातार दावा कर रही है कि लोधी की सदस्यता हाईकोर्ट से स्थगन मिलते ही बहाल हो गई है, और इस आशय की अधिसूचना विधानसभा सचिवालय को जारी करनी चाहिए। अधिसूचना जारी न किए जाने पर भाजपा लगातार ऐतराज जता रही है। नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव का आरोप है, हाईकोर्ट द्वारा सजा पर रोक लगाए जाने के आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है। निचली अदालत ने जब फैसला सुनाया तो महज 24 घंटों में ही कार्रवाई कर दी।

भाजपा का प्रतिनिधिमंडल बुधवार को लोधी की सदस्यता बहाली के मसले पर राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाकात करेगा। इस प्रतिनिधिमंडल में प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह, नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा आदि शामिल रहेंगे।

विधानसभा के पूर्व प्रमुख सचिव भगवानदास इसराणी का कहना है, वर्तमान में विधानसभा की पवई सीट रिक्त है, क्योंकि अधिसूचना जारी की जा चुकी है। जब तक विधानसभा सचिवालय नई अधिसूचना जारी नहीं करता है तब तक यह सीट रिक्त ही रहेगी। चुनाव आयोग भी कोई निर्णय विधानसभा सचिवालय की राय से लेगा।

ज्ञात हो कि 31 अक्टूबर, 2019 को सांसदों, विधायकों के मामलों की सुनवाई कर रहे भोपाल के विशेष न्यायाधीश सुरेश सिंह की कोर्ट ने भाजपा विधायक प्रहलाद लोधी सहित 12 लोगों को बलवा, मारपीट और गाली-गलौज करने के मामले में दोषी करार देते हुए दो साल की जेल की सजा सुनाई थी और अलग-अलग 3,500 रुपये जुर्माना भी लगाया था।

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