मणिपुर हिंसा में मारे गए कुकी-जो सुमदाय के 35 लोगों के शव दफनाए जाएंगे आज, जिलों के बॉर्डर पर बढ़ाई गई सुरक्षा

मणिपुर में मैतेई और कुकी-जो समुदाय के बीच चल रही हिंसा को तीन महीने पूरे हो चुके हैं. हिंसा में अभी तक 160 लोगों की जानें जा चुकी हैं. जिनमें से कई लोगों के शव इंफाल के अलग-अलग अस्पतालों की मॉर्चुरी में रखे गए हैं. जिनमें से आज कुकी-जो समुदाय के 35 लोगों के शवों को सामूहिक रूप से दफनाया जाएगा. कुकी-जो समुदाय का संगठन इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम चुराचांदपुर जिले के लम्का शहर के तुईबोंग शांति मैदान में शवों को दफनाने का कार्यक्रम करेगा.

इस बीच बिष्णुपुर-चुराचांदपुर जिले की सीमा पर अतिरिक्त केंद्रीय सुरक्षा बलों को भेजा गया है. शव दफनाने के लेकर बुधवार रात एक अफवाह फैलाई गई कि कुछ कुकी-जो समुदाय के लोगों के शव दफनाने के लिए बाहर ले जाए जा सकते हैं. इसके तुरंत बाद ही इंफाल में रीजनल आयुर्विज्ञान संस्थान और जवाहरलाल नेहरू आयुर्विज्ञान संस्थान के पास भीड़ एकत्रित हो गई. हालांकि मौके पर पहुंची पुलिस ने भीड़ को जैसे-तैसे शांत कराया.

बता दें कि इन दोनों अस्पतालों की मॉर्चुरी में ही इंफाल घाटी में जातीय संघर्ष में मारे गए लोगों के कई शव रखे हुए हैं. राज्य में किसी भी तरह की हिंसा को रोकने के लिए असम राइफल्स, रैपिड एक्शन फोर्स, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल और सेना की अतिरिक्त टुकड़ियां तैनात की गई हैं. समुदाय के संगठन ‘इंडिजीनियस ट्राइबल लीडर्स फोरम’ (आईटीएलएफ) द्वारा अंतिम संस्कार के लिए यह कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा. आईटीएलएफ ने एक बयान में कहा कि संगठन के अध्यक्ष पी. गिन हाओकिप इस मौके पर उपस्थित लोगों को संबोधित करेंगे.

मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मैतई समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.

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