नई दिल्ली- राष्ट्रपति फर्डिनेंड आर. मार्कोस जूनियर की भारत यात्रा (4–8 अगस्त 2025) केवल एक औपचारिक कूटनीतिक कार्यक्रम नहीं रही, बल्कि यह भारत और फिलीपींस के रिश्तों के एक नए युग की शुरुआत का स्पष्ट संकेत है। 75 वर्षों के कूटनीतिक संबंधों को एक सशक्त रणनीतिक साझेदारी में परिवर्तित करने वाली इस यात्रा ने दोनों लोकतंत्रों को एक साझा वैश्विक भूमिका में ला खड़ा किया है, खासतौर पर ऐसे समय में जब इंडो-पैसिफिक क्षेत्र भू-रणनीतिक प्रतिस्पर्धा का केंद्र बना हुआ है।
5 अगस्त को नई दिल्ली के हैदराबाद हाउस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति मार्कोस के बीच उच्चस्तरीय वार्ता के दौरान दोनों नेताओं ने रणनीतिक साझेदारी की औपचारिक घोषणा की। इस साझेदारी में रक्षा, समुद्री सुरक्षा, डिजिटल नवाचार, व्यापार, अंतरिक्ष, पर्यटन और सांस्कृतिक सहयोग को प्राथमिकता दी गई। दोनों पक्षों ने इस व्यापक सहयोग को 14 समझौता ज्ञापनों (MoUs) और एक संयुक्त बयान के माध्यम से संस्थागत स्वरूप प्रदान किया।
इस यात्रा की सबसे निर्णायक झलक सुरक्षा और समुद्री सहयोग में देखने को मिली। पहली बार भारतीय और फिलीपीनी नौसेनाओं ने दक्षिण चीन सागर में संयुक्त गश्त और अभ्यास किया, जिसमें INS Delhi, INS Shakti, INS Kiltan तथा BRP Jose Rizal शामिल रहीं। इस अभ्यास के दौरान चीनी जहाजों की ‘शैडोइंग’ न केवल समुद्री प्रतिस्पर्धा की गंभीरता को दर्शाती है, बल्कि यह भी इंगित करती है कि भारत–फिलीपींस साझेदारी अब एक सक्रिय और निर्भीक क्षेत्रीय उपस्थिति की ओर बढ़ रही है।
रक्षा सहयोग को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल डील, रक्षा उत्पादन, प्रशिक्षण और संयुक्त अनुसंधान के माध्यम से नई गहराई मिली है। यह न केवल फिलीपींस की स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को सुदृढ़ करेगा, बल्कि भारत के उभरते रक्षा निर्यात तंत्र को भी गति देगा।
साथ ही, डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI), अंतरिक्ष डेटा क्लाउड साझेदारी, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सहयोग, सांस्कृतिक और पर्यटन परियोजनाओं के माध्यम से द्विपक्षीय संबंध बहुआयामी और भविष्य-केन्द्रित बनते जा रहे हैं।
दोनों देशों ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में परस्पर वीज़ा मुक्त यात्रा की घोषणा की है, भारतीय नागरिक अब फिलीपींस में 14 दिन तक वीज़ा-मुक्त यात्रा कर सकेंगे, जबकि फिलिपीनो नागरिकों को भारत द्वारा मुफ्त ई-वीज़ा की सुविधा मिलेगी। साथ ही अक्टूबर 2025 से दिल्ली–मनीला के बीच सीधी उड़ानें शुरू होंगी, जिससे व्यापार, शिक्षा, पर्यटन और लोगों के बीच संपर्क को नई गति मिलेगी।
भू-राजनीतिक दृष्टिकोण से, भारत और फिलीपींस ने UNCLOS और South China Sea Arbitration Award (2016) जैसे अंतरराष्ट्रीय कानूनों के समर्थन में स्पष्ट रुख अपनाया। दोनों देशों ने नियम आधारित इंडो–पैसिफिक व्यवस्था की आवश्यकता पर बल दिया, जिससे चीन को परोक्ष रणनीतिक संदेश भी गया है।
साझेदारी को दीर्घकालिक दिशा देने हेतु एक रणनीतिक रोडमैप (2025–29) भी अपनाया गया है, जिसमें रक्षा, सामाजिक‑आर्थिक विकास, डिजिटलीकरण, विज्ञान, नवाचार, जलवायु और वैश्विक मंचों पर सहयोग की रूपरेखा शामिल है।
यह यात्रा केवल एक कूटनीतिक कैलेंडर का पड़ाव नहीं, बल्कि भारत और फिलीपींस के साझा हितों, साझा मूल्यों और साझा भविष्यदृष्टि का मिलन है। यह वह साझेदारी है, जो लोकतांत्रिक स्थायित्व, रणनीतिक आत्मनिर्भरता और वैश्विक दक्षिण की सामूहिक आकांक्षाओं को एक मंच देती है।
– डॉ. शाहिद सिद्दीक़ी, Follow on X: @shahidsiddiqui