भाजपा शरणार्थी सम्मेलनों के जरिए बाहर से आए हिंदुओं में बना रही पैठ


नागरिकता संशोधन कानून(सीएए) बनने के बाद भाजपा ने अब देश के उन इलाकों पर फोकस किया है, जहां पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में अत्याचार के कारण जान बचाकर भागे हिंदू, बौद्ध आदि अल्पसंख्यक शरणार्थी रह रहे हैं।

शरणार्थी सम्मेलनों के जरिए भाजपा उन्हें नए कानून के तहत नागरिकता लेने के तौर-तरीकों के बारे में बता रही है। इन सम्मेलनों के जरिए देश के तमाम हिस्सों में रहने वाले हजारों शरणार्थियों का दिल जीतने की कोशिश है। ऐसे सम्मेलन दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल सहित पूर्वोत्तर के राज्यों में होने हैं। इन राज्यों में सर्वाधिक शरणार्थी रहते हैं।

बिहार में फिलहाल भाजपा दो शरणार्थी सम्मेलनों का आयोजन कर चुकी है। बीते 25 दिसंबर को पूर्वी चंपारण सीट से सांसद राधा मोहन सिंह के संसदीय क्षेत्र के मोतिहारी सिरसा शरणार्थी कॉलोनी में सम्मेलन हुआ जिसमें पूर्वी पाकिस्तान से आए पीड़ित हिंदू शामिल हुए। राधा मोहन सिंह के मुताबिक उनके संसदीय क्षेत्र मे पाकिस्तान में अत्याचार का शिकार होकर आए हिंदुओं की संख्या करीब 20 हजार है, जबकि अकेले सिरसा गांव में इनकी आबादी लगभग एक हजार करीब है।

इसी तरह बीते गुरुवार को पश्चिमी चंपारण के सांसद और बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल के संसदीय क्षेत्र स्थित हजारी शरणार्थी कालोनी बेतिया में भी ऐसा सम्मेलन हुआ। यहां बांग्लादेश से आए हिंदू शरणार्थी रहते हैं। इस दौरान कई शरणार्थियों ने मंच से कहा कि अगर प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने नागरिकता कानून नहीं बनाया होता तो फिर बांग्लादेश जाने से बेहतर वे मर जाना पसंद करते।

मध्य प्रदेश में करीब दस हजार शरणार्थी रहते हैं। दिल्ली में पाकिस्तान से आए हिंदुओं के अलावा अफगानिस्तान से भागे 70 हजार से ज्यादा सिख रहते हैं। भाजपा यहां भी जनसंपर्क अभियान चला रही है।

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