बिहार में मेडिकल शिक्षा के लिए अलग विश्वविद्यालय होगा


बिहार सरकार राज्य में मेडिकल शिक्षा के लिए अलग विश्वविद्यालय स्थापित करने पर विचार कर रही है।

उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने यहां सोमवार को कहा कि सरकार बिहार में मेडिकल शिक्षा के लिए एक अलग स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय स्थापित करने पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2018-19 की तुलना में बिहार का स्वास्थ्य बजट में उल्लेखनीय 23 प्रतिशत की वृद्धि की है। वर्ष 2019-20 में स्वास्थ्य विभाग का 9,622 करोड़ रुपये का बजट है।

पटना में आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के एक वर्ष पूरा होने पर आयोजित समारोह के उद्घाटन कार्यक्रम में मोदी ने कहा कि इस योजना से बिहार में 93,448 लोग और पूरे देश में 44़55 लाख लाभान्वित हुए हैं। इन पर बिहार में 92 करोड़ व पूरे देश में 7़ 5 हजार करोड़ रुपये खर्च हुआ है।

उन्होंने कहा कि पूरे देश में 16,027 तथा बिहार में 712 अस्पताल इस योजना के तहत निबंधित हैं। देश में 10़ 35 करोड़ और बिहार में 27़ 87 लाख गोल्डन कार्ड वितरित किए गए हैं।

बिहारा में 11 नए मेडिकल कॉलेज खोलने की प्रक्रिया शुरू होने का दावा करते हुए उन्होंने कहा कि मधेपुरा में मेडिकल कॉलेज भवन नवंबर तक बनकर तैयार हो जाएगा, जबकि पूर्णिया में 365 करोड़ रुपये की लागत से और छपरा में 425 करोड़ रुपये की लागत से अस्पताल का भवन बन रहा है।

उन्होंने कहा, वैशाली, बेगूसराय, सीतामढ़ी, मधुबनी, जमुई और बक्सर में मेडिकल कॉलेज के निर्माण के लिए निविदा जारी कर दी गई है। भारत सरकार ने भी देश में 75 नए मेडिकल कॉलेज खोलने की स्वीकृति दी है, जिसका लाभ बिहार को मिलेगा।

उन्होंने कहा कि आजादी के बाद बिहार में सरकारी क्षेत्र में मेडिकल कॉलेज खोलने पर ध्यान नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि बिहार में 3,207 की आबादी पर एक डॉक्टर, जबकि तमिलनाडु में चार और केरल तथा कर्नाटक में 1़ 5 डॉक्टर हैं, जबकि डब्ल्यूएचओ के अनुसार, प्रति हजार आबादी पर एक डॉक्टर होना चाहिए।

मोदी ने जनसंख्या विस्फोट की चर्चा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में जनसंख्या विस्फोट पर चिंता व्यक्त की है। बिहार में प्रति दशक
जनसंख्या वृद्धि की दर 25 प्रतिशत है।

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